बुझते दीपक को देखकर अंधकार ने ठहाका लगाया और कहा ---- " क्यों आ गया न तेरा अंत l छोटा सा दीपक और अंधकार को चुनौती देने चला था l " दीपक बोला --- " बंधु ! अंत तो इस संसार में हर एक का निश्चित है l यदि हमेशा उजाला नहीं रहता तो हमेशा अँधेरा भी नहीं रहता l प्रश्न इस बात का है कि हमने किस उदेश्य के लिए जीवन जिया और अंत में कैसी भावनाएं रखीं l मुझे संतोष है कि मैं औरों के हित जिया और औरों के हित मरा l ' ---- जार्ज बर्नार्ड शा का जब अंत निकट आ गया तो उन्होंने अपने सेक्रेटरी से कहा कि वह कोर्ट से एक वकील को बुलाएँ l वकील के आने पर उन्होंने डाक्टरों के सामने ही अपनी वसीयत लिखवाई ---- मैं जार्ज बर्नार्ड शा शपथ पूर्वक कहता हूँ कि मेरी अंतिम इच्छा है कि जब मैं इस संसार से और अपने इस भौतिक शरीर से आजाद हो जाऊं और जब मेरे शव को कब्रिस्तान ले जाया जाए तो उस वक्त मेरी शव यात्रा में प्रथम श्रेणी में पक्षी , द्वितीय में भेड़ें , मेमनें , गायें और अन्य सभी तरह के चौपाये और तृतीय में पानी में रहने वाले जीव होंगे l इन जीवों के गले में एक विशेष कार्ड बंधा होगा l जिस पर अंकित होगा ---' हे प्रभु ! हमारे हितचिन्तक जार्ज बर्नार्ड शा पर दया करना , जिसने दूसरे जीवों की रक्षा के लिए अपना जीवन निछावर कर दिया l " कहा जाता है कि अपनी इस इच्छा को लिखवाने के बाद जार्ज बर्नार्ड शा ने प्राण त्याग दिए और उनकी अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुए उन्हें कब्रिस्तान तक पशु -पक्षियों के एक जुलूस के साथ पहुँचाया गया l जार्ज बर्नार्ड शा जीवन भर अंडा और मांसाहार से दूर रहे l एक बार बहुत बीमार होने पर डॉक्टर ने उन्हें अंडा और मांस का शोरबा लेने को कहा लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया l उनके ह्रदय की संवेदना , करुणा और प्रेम संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं l
No comments:
Post a Comment