कांची नरेश की राजकुमारी प्रेत बाधा से पीड़ित हुई l भूत सामान्य नहीं , ब्रह्मराक्षस था l तब श्री रामानुज को बुलाया गया l उन्होंने वहां जाकर पूछा ---- " आपको यह योनि क्यों मिली l " रोकर ब्रह्मराक्षस बोला ---- " मैं विद्वान् था , किन्तु मैंने अपनी विद्या छिपा कर रखी l किसी को भी मैंने विद्या दान नहीं किया , इससे ब्रह्मराक्षस हुआ l आप समर्थ हैं , मुझे इस प्रेतत्व से मुक्ति दिलाइये l " श्री रामानुज ने राजकुमारी के मस्तक पर हाथ रखकर , जैसे ही भगवान का स्मरण किया , वैसे ही ब्रह्मराक्षस ने उसे छोड़ दिया , और वह प्रेत योनि से मुक्त हो गया l उस दिन से श्री रामानुज ने प्रतिज्ञा की कि वह स्वाध्याय का लाभ समाज को भी देंगे l आज संसार में इतनी नकारात्मकता है , युद्ध , दंगे , तनाव , छल कपट , षड्यंत्र , प्राकृतिक आपदाएं - नकारात्मक शक्ति प्रबल है l दो विश्व युद्ध हुए , बीते युग में अनेक छोटे , बड़े युद्ध , विभाजन की त्रासदी और युद्ध के नाम पर निर्दोष और कमजोर को सताना , अकाल मृत्यु --- इन सबके कारण कितनी ही अशांत आत्माएं हैं , जो मुक्त नहीं हो पायीं l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं --- गायत्री मन्त्र से प्रकृति को पोषण मिलता है , प्रकृति में व्याप्त नकारात्मकता दूर होती है l इसलिए व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो उसे गायत्री मन्त्र का जप अवश्य करना चाहिए l मनुष्य तो अपनी महत्वाकांक्षा , ईर्ष्या , द्वेष के कारण युद्ध आदि से पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है , लेकिन गायत्री मन्त्र से जब प्रकृति में व्याप्त नकारात्मकता दूर होगी तब संसार में भी सुख -शांति स्वत: आ जाएगी l
No comments:
Post a Comment