यदि आपको तनाव रहित जीवन जीना है , संसार में निडर होकर , निश्चिन्त रहकर जीना है तो ईश्वर के सच्चे भक्त बनिए l क्योंकि जो सच्चा ईश्वर भक्त है , उसके लिए ईश्वर ही पर्याप्त है , वह संसार में किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता l उसे मृत्यु का भी डर नहीं होता क्योंकि उसे पता है कि उसके जीवन की डोर भगवान के हाथ में है l भगवान और भक्त का एक अटूट रिश्ता होता है l भक्त हर पल भगवान का स्मरण करता है तो भगवान भी अपने भक्त का स्मरण करते हैं l -------- यह अधिकार मात्र नारद जी को प्राप्त था कि वे जब चाहे श्रीकृष्ण के अंत:पुर तक चले जाते थे , कहीं भी कोई उन्हें टोकता नहीं था l एक बार नारद जी द्वारका पहुंचे तो देखा भगवान कहीं दीख नहीं रहे हैं l रुक्मणी जी के पास पहुंचे और पूछा ---- " प्रभु कहाँ विराज रहे हैं ? दिखाई नहीं दे रहे हैं l " रुक्मणी जी ने पूजा घर की ओर संकेत किया और कहा ----" वहां बैठे जप कर रहे हैं l " नारद जी को बड़ा आश्चर्य हुआ l वे पूजा घर पहुंचे तो देखा भगवान ध्यानस्थ हैं l थोड़ी देर में उन्होंने आँखें खोली और देवर्षि का हँसकर स्वागत किया l नारद जी ने पूछा ---- " भगवान ! सारी दुनिया आपका ध्यान करती है l आप किसका ध्यान करते हैं ? " भगवान श्रीकृष्ण ने गंभीर होकर कहा ---- " देवर्षि ! मैं सदा अपने भक्तों को स्मरण करता हूँ l " देवर्षि को एक नई अनुभूति हुई कि भक्त , भगवान के ह्रदय में बसते हैं , भगवान अपने भक्तों को कभी नहीं भूलते l
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