पुराण की कथाएं मनुष्य को जीवन जीने की शिक्षा देती हैं l ---- ' योगवासिष्ठ ' में भगवान राम को महर्षि वसिष्ठ उपदेश दे रहे थे l इसी बीच वे लघुशंका हेतु गए l लघुशंका के दौरान वे जोर से हँसे l रामचंद्र जी ने सोचा, इतने बड़े महर्षि लघुशंका के दौरान हँस रहे हैं ! क्या उन्हें इतना ज्ञान नहीं है कि इस समय कोई भी क्रिया नहीं करनी चाहिए l जब लौटकर आए तो श्रीराम ने पूछा ---- " भगवान क्या बात थी , आप हँसे क्यों ? ऐसे समय में आपको हँसी आना किसी विशेष रहस्य का कारण है ? " महर्षि बोले ---- " मैं एक द्रश्य देखकर हँस पड़ा l एक चींटा नीचे नदी के प्रवाह में बहा जा रहा था l वह चींटा नौ बार इन्द्रपद पर रह चुका है , पर अपने भोग के कारण वह चींटे की योनि को प्राप्त हुआ है l " आचार्य श्री लिखते हैं ---- हम -आप कल्पना कर सकते हैं कि जब इन्द्रपद प्राप्त करने वाले की यह स्थिति है तो हमारी -आपकी क्या स्थिति होगी l " यह सत्य है कि मनुष्य स्वयं ही अपने कर्मों द्वारा यह तय कर लेता है कि उसको अगले जन्म में कौन सी योनि मिलेगी l मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है l मनुष्यों से मिलकर ही परिवार , समाज और राष्ट्र बना है l एक मनुष्य को उसके कर्मों का फल तो मिलता ही है , लेकिन उसके कर्म उसके परिवार , समाज और राष्ट्र की दिशा को भी तय करते हैं l छल , कपट , षडयंत्र , धोखाधड़ी , अनैतिक , अमर्यादित कार्य , विभिन्न अपराध कोई अकेला नहीं करता , उसमे समाज का बहुत बड़ा तबका जुड़ा होता है l भौतिक द्रष्टि से चाहे उनके पास धन -वैभव हो लेकिन मानवीय द्रष्टि से वे परिवार और समाज को पतन के गर्त में और निम्न योनियों में ले जाते हैं l संसार में सुख शांति के लिए जरुरी है कि ' विकास ' को भौतिक द्रष्टिकोण से नहीं , इंसानियत के आधार पर परिभाषित किया जाये l इस आधार पर यदि विभिन्न देशों का निष्पक्ष सर्वेक्षण किया जाये तो यह सत्य सामने आएगा कि विकास ने मनुष्य को क्या बना दिया --- पशु , नर पशु , पिशाच या खूंखार पशु ! इनसान तो बहुत ही कम होंगे l विभिन्न योनियाँ तो मृत्यु के बाद ही मिलती हैं लेकिन व्यक्ति के गलत कार्य उसे पशु और जिन्दा प्रेत बना देते हैं जो न तो स्वयं चैन से रहता है और न दूसरों को चैन से जीने देता है l मनुष्य बुद्धिमान है इसलिए वह अपने इस रूप पर आदर्शवादी और समाजसेवी होने का आवरण डाल लेता है l आज जरुरी है कि हर व्यक्ति ईश्वर से सद्बुद्धि की प्रार्थना करे , ईश्वर हमें विवेक दें जिससे हम किसी व्यक्ति की सच्चाई को , उसके असली रूप को समझकर जागरूक रहें l
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