5 July 2023

WISDOM ----

     श्रीमद् भगवद्गीता   में  भगवान  ने  कहा  है  कि  कोई  भी  कार्य  बड़ा  या  छोटा  नहीं  होता  ,  उस  कार्य  को  करने  के  पीछे  हमारी  भावना  क्या  है , हमारे  मनोभाव  क्या  हैं  ,  इस  पर  उस  का  परिणाम  निर्भर  करता  है  l  यज्ञ  को  एक  सात्विक  कर्म  माना  जाता  है   लेकिन  उसके  करने  के  पीछे  यज्ञ  करने  की  भावना  क्या  है , उसी  के  अनुरूप  उसे  परिणाम  मिलता  है  l  राम -रावण  युद्ध  में   भगवान  श्री  राम  और  रावण  दोनों  ने  ही   युद्ध  की  शुरुआत  यज्ञ  से  की  थी   l  भगवान  राम  का  उदेश्य  धर्म  की  स्थापना  और  अधर्म  का  नाश  था  l  असुरों  के  आतंक  से  मानवता  की  रक्षा  करना  था   l  इसके  विपरीत  रावण  का  उदेश्य  अपने  अहंकार  का  पोषण  करना  था   l  जैसे  मनोभाव  थे  वैसा  ही  परिणाम  मिला  श्रीराम  की  विजय  हुई   और  रावण  का  अपने  नाती -पोतों  सहित  अंत  हुआ  l  पुराण  में  कथा  है  कि  दक्ष  प्रजापति  ने  एक  विशाल  यज्ञ  किया  l  इस  यज्ञ  को  करने  का   उनका  एकमात्र  उदेश्य  अपने  दंभ  का  प्रदर्शन  करना  था   l  परिणाम स्वरुप  माता  सती  को  उस  यज्ञ  में  अपने  प्राणों  की  आहुति  देनी  पड़ी   और  अंततः  भगवान  शिव  के  रूद्र  रूप  ने  उस  यज्ञ  को  विनष्ट  कर  दिया  l  

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