पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----" यदि हम समस्या को सुलझाना चाहते हैं , उस पर विजय पाना चाहते हैं तो हमें अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना होगा l समस्या के कारणों को जाने -समझे बिना तुरंत रिऐक्ट करने से समस्या और भी जटिल हो जाती है l यदि हमें समस्या को सुलझाना है , उससे बाहर निकलना है तो हमें अपना ध्यान उसके समाधान पर केन्द्रित करना होगा l "------- एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे l एक झील देखकर उन्होंने अपने दोनों शिष्यों से कहा ----" मुझे प्यास लग रही है , झील से पानी ले आओ l " तभी एक बैलगाड़ी झील में उतरकर उस पार जाने लगी l इससे पानी मटमैला हो गया l एक शिष्य तुरंत लौट आया और बुद्ध से बोला --- " पानी गन्दा है , आपके पीने लायक नहीं है l " जबकि दूसरा शिष्य चुपचाप वहीँ झील के किनारे ही बैठ गया l कुछ समय बाद वह साफ़ पानी लेकर बुद्ध के पास पहुंचा , तो वे बोले ---- "तुमने पानी को साफ़ करने के लिए क्या किया ? " दूसरे शिष्य ने कहा --- " कुछ नहीं , सिर्फ समय दिया , मिटटी अपने आप जम गई और मुझे साफ़ पानी मिल गया l " आचार्य श्री लिखते हैं --- इस घटना क्रम में दोनों शिष्यों के पास समान समस्या थी किन्तु पहले शिष्य का ध्यान सिर्फ समस्या पर था इसलिए वह पानी लाने में असफल रहा l जबकि दूसरे शिष्य का ध्यान समस्या के कारण और उसके समाधान पर थ , इसलिए वह सफल रहा l आचार्य श्री लिखते हैं --- इस सूत्र को अपनाकर जीवन में आने वाली किसी भी मुश्किल समस्या को हम सहजता से हल कर सकते हैं l जीवन की हलचल को शांत होने के लिए कुछ वक्त देना जरुरी है l जिस तरह गंदे पानी को स्वच्छ बनाने के लिए उसमे मिली मिटटी के नीचे बैठने का इंतजार करना होता है , उसी प्रकार जीवन की हलचलों को शांत करने के लिए कुछ वक्त देना भी जरुरी होता है l "
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