17 August 2023

WISDOM ----

  तनाव  कहीं  बाहर  से  नहीं  आता  , यह  हमारी  अपनी  ही  कमजोरियों  से  उपजता  है  l  नाम , पद , यश , सम्मान  पाने  की  इच्छा  ही  हमें  तनाव  देती  है  l  यदि  हम  अपने  मन  में   इस  सत्य  को  बैठा  लें   कि  ' देने  वाला  ईश्वर  है  , वह  जो  दे  वह  अच्छा  है  , और  जो  न  दे  उसमें  कहीं  न  कहीं  हमारी  ही  कोई  भलाई  छुपी  है    हमने  अपना  कर्तव्य  किया  , आगे  ईश्वर  की  मर्जी  '     तो  हमें  कभी  कोई  तनाव  नहीं  होगा  l  सुख -चैन  की  नींद  आना  ईश्वर  की  बहुत  बड़ी  देन   है  l  ----एक  बार  गाँधी जी  का  एक  परिचित  धनाढ्य  व्यक्ति  गांधी जी  से  मिलने  पहुंचा  l  उसने  कहा  --- " गांधी जी  !  आप  तो  जानते  हैं  कि  मैंने  लाखों  रूपये  खरच  कर  के  धर्मशाला  का  निर्माण  कराया  था  l  अब  गुटबाजों  ने  मुझे  ही  प्रबंध  समिति  से  हटा  दिया  l  ऐसे  लोग  समिति  में  आ  गए  हैं  , जिनका  धन  की  द्रष्टि  से  योगदान   नगण्य  ही  है  l  इस  संबंध  में  क्या  न्यायालय में  मामला  दर्ज  कराना  उचित  नहीं  होगा  ? "   गांधी जी  ने  कहा --- "  तुमने  धर्मशाला  धर्मार्थ  बनाई  थी   या  उसे  व्यक्तिगत  संपत्ति  बनाए  रखने  के  लोभ  में  ?  असली  धर्म  तो  वह  होता  है  ,  जो  बिना  लाभ  की  इच्छा  के  किया  गया  हो  l  तुम  अभी  तक  नाम  व  प्रसिद्धि  का  लालच  नहीं  त्याग  पाए  हो  , इसलिए  तुम  धर्मशाला  में  प्रबंध  समिति  के  पद  से   हटाए  जाने  से  दुःखी  हो   l  मेरी  बात  मानो   तो  तुम  धर्मशाला   की  प्रबंध  समिति  में  पद   और  नाम  की  प्रसिद्धि   के  मोह  को  त्याग  दो  l  इससे  तुम्हारे  मन  को  शांति  प्राप्त  होगी  l "  यह  सुनकर  उस  व्यक्ति  ने  संकल्प   किया  कि  अब  वह  पद   अथवा  नाम  के  लोभ  में  कभी  नहीं  पड़ेगा   l  

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