सुख -शांति से , तनाव रहित जिन्दगी जीने का एक तरीका यह भी है कि हम अपने जीवन में जो भी कठिनाइयाँ , दुःख , अपमान , संघर्ष ---किसी भी तरह की नकारात्मकता को झेल रहे हैं , तो उन सबके बीच कौन सा एक सुख भी है , उसे ढूंढ लें l हर कष्ट में , हर दुःख में कहीं न कहीं एक छोटा सा सुख अवश्य छिपा होता है , हमें उसी को ढूंढना है क्योंकि वही एक आशा की किरण है जो हमें जीवन जीने की हिम्मत और प्रेरणा देती है l जब हर तरफ से नकारात्मकता ने हम पर आक्रमण किया हो , तब उसके बीच सकारात्मकता को खोजना केवल ईश्वर विश्वास से ही संभव है l यदि हमें ईश्वर की सत्ता पर विश्वास है तो उस सकारात्मकता को हम अपने अन्दर महसूस करते हैं और उस आंधी -तूफ़ान के बीच भी अटल रहते हैं हमें यह अटल विश्वास होता है कि अँधेरा मिटेगा , सुबह अवश्य होगी l इसके पीछे एक सत्य यह भी है कि हमारी शांति देखकर अन्य लोग अवश्य तनाव में आ जाएंगे कि इतनी मुसीबतों और नकारात्मकता के बीच यह शांत कैसे है ? एक कथा है ----- एक बार बाबा फरीद रास्ते से गुजर रहे थे l उनके शिष्य भी उनके साथ थे l शिष्य उनका बहुत आदर , सम्मान करते थे l रास्ते पर चलते हुए बाबा फरीद के पाँव में अचानक पत्थर से चोट लग गई और वे जमीन पर गिर पड़े l उनके पैर से खून निकलने लगा l इससे उनके शिष्यों को बड़ी पीड़ा हुई l शिष्यों ने कहा , यह जरुर किसी की शरारत है l कल शाम को जब हम निकले थे , तब यह पत्थर यहाँ पर नहीं था l किसी ने जरुर सोचा होगा कि सुबह यहाँ से निकलेंगे और मस्जिद जाएंगे , इसलिए किसी ने जानबूझकर इस पत्थर को यहाँ पर रख दिया l शिष्यों की इस बात पर बाबा फरीद ने उन्हें समझाया कि तुम सब इन व्यर्थ की बातों में मत पड़ो और वे स्वयं घुटने टेककर खुदा को धन्यवाद देने बैठ गए l अपनी प्रार्थना पूरी करने के बाद उन्होंने कहा ---- " ऐ खुदा ! तेरी बड़ी कृपा है l अपराध तो मेरे ऐसे हैं कि आज मुझे फाँसी मिलती , लेकिन तूने मुझे सिर्फ पत्थर की चोट दी l तेरी करुणा अपार है l "
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