तपस्वी से राहगीर ने पूछा ---- " आप इस बियावान में अकेले रहते है , आपको भय नहीं लगता ? " तपस्वी ने उत्तर दिया ---- " नहीं , मैं अकेला नहीं हूँ , मेरे साथ परम पिता परमेश्वर हैं , माँ जगन्माता हैं l जो श्रेष्ठ विचारों से घिरे हैं , अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र हैं और ईश्वर के चिन्तन में निमग्न हैं , वे भला कब और कैसे एकाकी हो सकते हैं ? उनके साथ उनके प्रभु परमेश्वर सदा ही रहते हैं l "
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