संसार में जितनी भी क्रांतियाँ हुईं हैं , उनके मूल में कारण ' आर्थिक ' था l किसी का शोषण होता है और कोई शोषण करता है , दोनों के बीच अपने अस्तित्व के लिए झगड़ा होता है l अत्याचार और अन्याय कई तरह से होता है l अत्याचारी सामने हो तो उससे निपटा जा सकता है लेकिन कलियुग का एक बड़ा लक्षण कायरता है l लोग समाज में अपनी छवि को साफ़ -सुथरी बनाये रखने के लिए छिपकर पीठ पर वार करते हैं l इससे उनकी मानसिक विकृति को पोषण मिल जाता है l यह स्थिति परिवारों से लेकर समूचे संसार में है l धर्म , जाति के आधार पर होने वाले विवाद , दंगे , युद्ध , हत्याकांड यह सब मनुष्य की मानसिक विकृति को ही बताते हैं l विज्ञानं ने मनुष्य को सब भौतिक सुविधाएँ प्रदान की हैं लेकिन विज्ञानं के पास कोई ऐसा यंत्र नहीं है जो मनुष्य में सद्बुद्धि को , विवेक को जाग्रत कर सके , मनुष्य की चेतना का परिष्कार कर सके l चेतना ही तो परिष्कृत नहीं है , इसीलिए युगों से इतने युद्ध , मारकाट , दंगे , फसाद चले आ रहे हैं l करुणा और सहानुभूति जैसे शब्द खो गए , यूज एंड थ्रो की स्थिति आ गई , स्वार्थ सर्वोपरि है l ऐसी स्थिति से बचने का एक ही उपाय है --- स्वयं को सशक्त बनाये , शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से l कौरवों ने पांडवों पर बहुत अत्याचार किए , उन्हें लाक्षाग्रह में जिन्दा जलाने का षड्यंत्र रचा , वे जागरूक थे इसलिए बच गए और अपनी शक्ति को बढ़ाने में लग गए l महाभारत के युद्ध में विजयी हुए l
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