कहते हैं ---इतिहास अपने को दोहराता है l इतिहास से हमें शिक्षा लेनी चाहिए l और उन घटनाओं को नहीं दोहराया जाना चाहिए जिनसे सम्पूर्ण राष्ट्र के अस्तित्व पर संकट आ जाये l प्रकृति का नियम है कि समय का चक्र घूमता है --सुख -दुःख , अच्छा -बुरा आता -जाता रहता है l एक पैटर्न बार -बार दोहराया जाता रहता है , ऐसा व्यक्ति के जीवन में भी होता है और राष्ट्र के जीवन में भी l ईश्वर ने हमें चुनाव की स्वतंत्रता दी है , ईश्वर हम पर कुछ थोपते नहीं हैं , वे हमें विवेक अनुसार मार्ग चुनने की स्वतंत्रता देते हैं l यदि हम जागरूक हैं और समझ जाएँ कि हमारी किन गलतियों की वजह से हम ऐसे चक्रव्यूह में फंसे हैं , जहाँ कष्ट ही कष्ट है , गुलामी है , अंधकार है तो हम उन गलतियों को सुधार कर , अपनी शक्ति जगाकर , अपने आत्मविश्वास को जगाकर उस चक्रव्यूह से बाहर निकल सकते हैं जैसे ---- यदि हम अपने इतिहास पर द्रष्टि डालें तो प्राचीन काल में भारत एक सोने की चिड़िया था l धीरे -धीरे लोग स्वयं के प्रति लापरवाह हो गए और अनेक बुराइयों से घिरते गए , सबसे बड़ी बुराई थी ' आपसी फूट ' l हम आपस में ही लड़ते रहे और अपने लालच और महत्वाकांक्षा के कारण दुश्मनों का , विदेशी आक्रमणकारियों का साथ दे दिया और युगों तक देश गुलाम हो गया l चाहें परिवार हो या राष्ट्र हो जब अपने में कमजोरी होती ही तभी गैर उसका फायदा उठाता है , तोड़-फोड़ मचाता है , राष्ट्र हो या परिवार हो , उसको अपना गुलाम बनाने की भरपूर कोशिश करता है l दो बिल्लियों की लड़ाई में पूरी रोटी बन्दर खा गया , दोनों बिल्लियाँ बेचारी ! अब ये चुनाव हमें करना है --- आजादी चाहिए या गुलामी के अंधकार में रहना पसंद है l जिन्हें लोगों को गुलाम बनाने की आदत है , वे हर वक्त गहरी निगाह लगा कर बैठे हैं , उन्हें तो मौके की तलाश है l विचारशीलों का यही कहना है --भूतकाल से शिक्षा लें , वर्तमान को संभाले , तभी आगे एक सुन्दर भविष्य होगा l
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