3 January 2024
WISDOM ---
आज संसार में परिस्थितियां इतनी विकट हैं कि अनेक प्रश्न उत्पन्न होते हैं जैसे ---किसी के पास सारे सुख -वैभव हैं , सम्पन्नता है फिर आत्महत्या क्यों की ? उच्च स्तर का रहन -सहन , अच्छा भोजन आदि सब उपलब्ध है फिर बीमारियों से क्यों घिरे हो ? जो देश बहुत अमीर हैं , विकास के चरम पर हैं वहां लोगों में इतना तनाव क्यों हैं कि जब -तब लोगों को गोली से भून डाला ? समस्या का समाधान युद्ध में खोजते हैं ? जीवन इतना असंतुलित है कि किसी भी समस्या का कोई हल खोजें भी तो वह सुलझने के बजाय और उलझ जाती है ? इन सबका कारण एक ही है ----- पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " संसार में जितने भी ज्ञान , कला और कौशल हैं , उनमें सर्वोपरि स्थान ' जीवन जीने की कला का ' का है l यदि जीवन जीने की कला का ज्ञान ही न हो तो व्यक्ति सारी जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद भी दीन , दुःखी और पतित जीवन जीता ही देखा जाता है l जिसे यह कला आती है , उसे हर घड़ी , हर परिस्थिति में केवल आनंद , उल्लास और संतोष का सुख मिलता रहता है l " आचार्य श्री लिखते हैं ---- " दुःख इस बात का है कि बुद्धिमान समझा जाने वाला मानव प्राणी जीवन विद्या की उपयोगिता और आवश्यकता को न तो अनुभव कर रहा है और न ही उसके लिए कोई प्रयत्न ही इस दिशा में चल रहे हैं l अनेक विषयों की शिक्षा देने के लिए अनेक विद्यालय मौजूद हैं , पर जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक भी विद्यालय कहीं न हो , यह कितने आश्चर्य और खेद का विषय है l
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