' रात गँवाई सोय के , दिवस गँवायो खाय , मीरा जनम अनमोल था , कौड़ी बदले जाय l ' बड़े पुण्यों के बाद मानव शरीर मिलता है , लेकिन मनुष्य अपनी नासमझी के कारण अपना पूरा जीवन छल , कपट , षड्यंत्र , दूसरों को नीचा दिखाना , लोगों का हक छीनना , दूसरों को कष्ट देकर आनंदित होना और कभी समाप्त न होने वाली तृष्णा , कामना , लालच ------ आदि नकारात्मकता में ही व्यतीत कर देता है l हमें गिनती की श्वास मिली हैं लेकिन इस नकारात्मकता से उबरें , तभी इस जीवन का सदुपयोग हो सके l इन सबके ऊपर एक सबसे बड़ी गलत आदत है --' आलस ' और आलसी , कर्महीन व्यक्ति की भगवान भी मदद नहीं करते l एक कथा है ------ बरसात के दिन समीप थे l पत्नी ने पति से कहा --- अब चहत पर मिटटी डालकर प्लास्टिक शीट से ढक देना चाहिए नहीं तो कमरे में पानी भरेगा l दीर्घसूत्री महा आलसी पति ने कहा --- " ऐसी क्या जल्दी है , कर लेंगे l इसमें कितना समय लगता है l " पत्नी बेचारी चुप हो गई l आकाश में बादल घिरने लगे l पत्नी बोली ---- "देखिए , अब तो बरसात सिर पर आ गई l अब तो कुछ करिए l " ऊँघते हुए पतिदेव बोले ---- " कोई रात में ये बादल बरसने वाले नहीं हैं l ये तो रोज ही आते -जाते बादल हैं l " दिन निकल गया l एक -दो दिन बाद आंधी आई , साथ लाइ काले बादल l देखते -देखते आकाश काला हो गया l तेज बरसात आरम्भ हो गई l घनघोर वर्षा रात भर होती रही l अगले दिन मकान धराशायी हो गया l पति महोदय रोने लगे ---- " अब इन बच्चों का , हमारा क्या होगा ! " इस पर पत्नी ने उत्तर दिया ---- " वही होगा जो शेखचिल्लियों के बच्चों का होता आया है l " पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " आलस्यवश काम को बाद के लिए छोड़ना एक ऐसा दुर्गुण है , जो जीवन को बरबाद करता है l जो जीवन से प्यार करते हैं , उन्हें आलस्य में समय नहीं गँवाना चाहिए l "
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