मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है , लेकिन इतनी बुद्धि के बावजूद वह निरंतर समस्याओं और मुसीबतों से घिरा हुआ है l संसार में कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है जिसके जीवन में समस्याएं न हो l प्रत्येक व्यक्ति की समस्या का रूप अलग -अलग है l जो साहस , धैर्य और बुद्धि -विवेक के साथ इन समस्याओं का सामना करते हैं , वे जिन्दगी की जंग को जीत जाते हैं l सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ समस्याएं हमारी अपनी होती हैं , संघर्ष कर के ,मेहनत कर के और संतुलित जीवन जी कर इन समस्याओं का हल संभव है l लेकिन अनेक मुसीबतें ऐसी होती हैं जो लोग अपनी ईर्ष्या , द्वेष , लालच , प्रतियोगिता आदि नकारात्मक स्वभाव के कारण दूसरों को तंग कर उनके जीवन में तनाव देते हैं , उनका सुख -चैन छीनने की भरपूर कोशिश करते हैं और बाद में अपने उन गलत कर्मों का परिणाम प्राप्त होने पर मुसीबतों से घिर जाते हैं l सामाजिक प्राणी होने के नाते हमारा सामना विभिन्न प्रवृतियों के लोगों से होता है , कोई ईर्ष्यालु है , कोई लालची , कोई हमसे प्रतियोगिता करता है , कोई बिना वजह हमारा अहित चाहता है , कहीं अहं का टकराव है ---- ऐसे ही लोगों के बीच रहकर हम अपने मन को कैसे शांत रखें , कैसे तनाव रहित जीवन जियें , इसी का ज्ञान जीवन जीने की कला है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- 'हम संसार को नहीं बदल सकते , हम अपने मन को साध लें , अपनी सोच बदल लें तभी हम शांति से रह सकते हैं जैसे कोई हमारी बहुत निंदा करता है , झूठी अफवाहें फैलाता है , गासिप करता है , तो उसे उसका काम करने दो , उससे उलझने का , विवाद करने का कोई फायदा नहीं है l हमें यह देखना है कि हम अपनी आत्मा में , अपने ईश्वर की निगाह में सही हैं तो किसी के अफवाह फ़ैलाने से कुछ नहीं बिगड़ने वाला , सच सामने अवश्य आएगा l इसी तरह यदि कोई आपकी बहुत प्रशंसा करता है तो अपनी प्रशंसा सुनकर मन को विचलित न करें l इतनी प्रशंसा के पीछे कोई न कोई स्वार्थ अवश्य छुपा है , यह संसार गणित से चलता है l
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