हमारे धर्म ग्रन्थ हमें बहुत कुछ सिखाते हैं l आज संसार में इतना पाप , अत्याचार क्यों बढ़ रहा है ? इसका सबसे बड़ा कारण है कि व्यक्ति बड़े -बड़े अपराध करता है , मर्यादाहीन और अनैतिक आचरण करता है और शक्तिशाली लोगों का आश्रय पाकर दंड से बच जाता है l कभी आत्म समर्पण कर दिया जैसे डाकुओं ने समर्पण किया था , कभी परिवार में इज्जत बचाए रखने के लिए लोग मुंह बंद करा देते हैं , कभी समाज अपने फायदे और बड़े लाभ के लिए अपराधियों की शरण लेते हैं ----- ऐसे अनेक तर्क हैं जिनकी वजह से संसार में क्षमा की बड़ी व्यवस्था है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- ' क्षमा मिल जाएगी ' इससे अनेक लोग अपराध करने की दिशा में प्रेरित होते हैं l ' बड़े की आड़ में अनेक लोग जिनकी व्यक्तिगत कोई मजबूती नहीं है , वे भी अपराध करने लगते हैं l संचार के साधनों का इतना विस्तार हो जाने से अपराध का भी वैश्वीकरण हो गया है l धर्मग्रन्थ हमें शिक्षा तो देते हैं लेकिन उन शिक्षा के अनुसार आचरण करने वाला चाहिए l रामायण में प्रसंग है --जब राम -रावण युद्ध समाप्त हो गया तब माँ सीता से पूछा गया कि अशोक वाटिका में जिन राक्षसियों ने उन्हें डराया -धमकाया उन्हें क्या सजा दी जाये ? तब सीताजी ने कहा --- ये तो रावण के आदेश पर यह सब कर रहीं थीं , उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोई दुश्मनी नहीं थी , इसलिए इन्हें क्षमा कर दो l लेकिन माता सीता ने रावण को उसके मर्यादाहीन आचरण के कारण कभी क्षमा नहीं किया , उसकी ओर आँख उठाकर भी नहीं देखा l इसलिए रावण का अंत हुआ l महाभारत में द्रोपदी ने दुर्योधन , दु: शासन को क्षमा नहीं किया l स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को क्षमा नहीं किया उसका वध किया l अश्वत्थामा को उसके जघन्य अपराध के लिए उसे दंड दिया , भीम से कहा --इसके मस्तक की मणि निकाल लो , इस घाव को लिए यह युगों तक भटकेगा l जब कानून का भय होगा , कठोर दंड होगा , समाज और परिवार अपराधियों को बहिष्कृत करेंगे तभी संसार में शांति होगी l
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