महाभारत की कथा है ---- यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न पूछा ---- " इस संसार का परम आश्चर्य क्या है ? " युधिष्ठिर ने कहा ---- " सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मृत्यु को सुनिश्चित घटना के रूप में देखकर भी मनुष्य इसे अनदेखा करता है l वह मृत्यु की नहीं , जीवन की तैयारी कुछ इस तरह करता है , जैसे विश्वास हो कि वह कभी मरेगा ही नहीं ,उसे सदा -सदा जीवित रहना है l " यदि मृत्यु के अटल सत्य को व्यक्ति स्वीकार कर ले तो संसार में इतना हाहाकार न हो l लालच , महत्वाकांक्षा , ईर्ष्या , द्वेष और सबसे बढ़कर अहंकार ने मनुष्य की सोच को विकृत कर दिया है l ' जियो और जीने दो ' के बजाय ' मारो -काटो ' की बात करता है l ये दुर्गुण व्यक्ति को क्रूर बना देते हैं , उसके 'मानवीयता ' के गुण को ही समाप्त कर देते हैं l ऐसा व्यक्ति परिवार से लेकर संसार में कहीं भी हो उसे दूसरों को सताने में , उन पर अत्याचार करने में ही आनंद आता है l यह अत्याचार , अन्याय हमेशा अपने से कमजोर पर होता है l ऐसे कार्यों से पूरे वातावरण में नकारात्मकता भर जाती है l विभिन्न असाध्य रोग , महामारी , तनाव आदि इसी का परिणाम हैं l
No comments:
Post a Comment