महाराज विक्रांत एक बार जंगल में भटक रहे थे l एक किसान ने उन्हें शरण दी , वह नहीं जानता था कि ये कौन हैं ? किसान ने उनका बहुत स्वागत किया l जाते समय राजा ने राजमुद्रा अंकित पहचान पात्र दिया और कहा ---- " कभी कोई कष्ट हो , आवश्यकता हो तो राजदरबार में इसे लेकर आना l " किसान मेहनती था l उसे कुछ आवश्यकता तो थी नहीं , समय के साथ वह घटनाक्रम भूल गया l बहुत समय बाद परिस्थिति में परिवर्तन हुआ , किसान की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी l उसे पिछली घटना याद आई l वह पहचान पत्र लेकर दरबार पूछा l राजा उस समय आराधना -गृह में था l पहचान पत्र के कारण प्रहरियों ने उसे अन्दर जाने दिया l किसान ने देखा कि महाराज स्वयं भगवान से कुछ मांग रहे थे l यह देखकर किसान का स्वाभिमान जाग गया और वह वापस लौटने लगा l महाराज ने उसे देखा तो पहचान लिया और रोक कर उसे कुछ देने की इच्छा प्रकट की l किसान ने कहा ---- " महाराज ! आया तो मांगने था , पर उस परम सत्ता से ही मांगूंगा , जिससे आप भी मांगते हैं l सर्वशक्तिमान भगवान के रहते मनुष्य से क्यों माँगा जाये l
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