संसार में आज इतना पाप , अनर्थ , अनीति , अत्याचार बढ़ रहा है , इसका मुख्य कारण यही है कि मनुष्यों ने कर्म फल और पुनर्जन्म पर विश्वास करना छोड़ दिया है l विद्वानों के इस सन्देश को कि ' वर्तमान में जिओ ' लोगों ने गलत ढंग से ले लिया l अब लोग इस तरह सोचने लग गए हैं कि नैतिक - अनैतिक , सही -गलत किसी भी तरीके से जितना सुख , ऐशो -आराम भोग लो , चाहे जितना छल -कपट , षड्यंत्र कर लोगों को उत्पीड़ित कर लो , अगला जन्म किसने देखा ? जो होगा सो देखा जायेगा l ---इस तरह की सोच होने के करण ही समाज में पाप अपराध बढ़ रहे हैं l थोड़ी सी भी शक्ति आ जाए तो व्यक्ति अपने को सर्वसमर्थ , भगवान समझने लगता है , उसे लगता है कि वही सबका भाग्य -विधाता है l कर्मफल विधान को समझाने वाले अनेक प्रसंग , कथाएं हैं लेकिन अपने ही मानसिक विकारों में फँसा हुआ व्यक्ति समझता नहीं है l -------- आचार्य महीधर अपने शिष्यों के साथ तीर्थयात्रा पर थे l रात्रि में जंगल में रुक गए l रात्रि में ही उन्हें समीप के अंधे कुएं से करुण क्रंदन सुनाई पड़ा l वे वहां पहुंचे तो देखा पांच व्यक्ति औधेमुँह पड़े बिलख रहे हैं l आचार्य ने उनसे पूछा --- 'आप कौन हैं , इस कुएं में क्यों गिरे हैं ? ' उनमें से एक ने कहा --- " हम पांच प्रेत हैं , कर्मफल भोग रहे हैं l ' आचार्य ने उनसे उनकी ऐसी दुर्गति का कारण पूछा , तब उनमें से एक ने कहा ---- " वह पूर्वजन्म में ब्राह्मण था l दक्षिणा बटोर कर विलासिता में खर्च करता था l उपासना कभी नहीं की l " दूसरे ने कहा ---- " वह क्षत्रिय था , पर दुःखियों को पीड़ा देता , मांस - नशा , आदि विभिन्न कुकृत्य में निरत रहा l " तीसरा बोला --- " मैं वैश्य था l हमेशा अपने ही लाभ की सोचता , बिक्री में हेराफेरी करता , कभी दान नहीं किया l " चौथे ने कहा --- " मैं शूद्र था , अहंकारी , आलसी , दुर्व्यसनी l कभी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया l " पांचवां प्रेत किसी को अपना मुँह नहीं दिखाता था , निरंतर रोता जा रहा था l बहुत पूछने पर वह बोला --- " मैं पूर्वजन्म में साहित्यकार था , पर अपनी कलम से मैंने अश्लीलता और फूहड़पन फ़ैलाने वाला साहित्य लिखा l मैंने वासना भड़काई और सारे समाज को भ्रष्ट किया l इसलिए मुझे ब्रह्म राक्षस बनकर इस स्थिति में भटकना पड़ रहा है l " उन पाँचों प्रेतों ने आचार्य से प्रार्थना की कि वे समाज में उनकी ( प्रेतों ) की दुर्गति का कारण सभी को बता दें , ताकि वे लोग ऐसी भूल न करें l
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