13 September 2024
WISDOM -----
आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं l विज्ञानं ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़े चमत्कार प्रस्तुत किए हैं लेकिन फिर भी जीवन के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ विज्ञानं शून्य है , , वह क्षेत्र विज्ञानं की पहुँच से बाहर है और वह है --- ' मनुष्य के संस्कारों में परिवर्तन करना l " यह विज्ञानं के वश की बात नहीं है l मनुष्य के विचारों को परिष्कृत करना , उसे सन्मार्ग की ओर प्रेरित करना ---इसके लिए वैज्ञानिकों के पास कोई उपकरण नहीं है l यही कारण है कि अपराध इतनी तेजी से और विकृत रूप से बढ़ रहे हैं l मनुष्य से गलती हो जाए तो उसे सुधारा जा सकता है l लेकिन जो लोग सोच -विचारकर , योजना बना कर पापकर्म करते हैं , छल , कपट , षडयंत्र करते हैं , मनुष्यता के स्तर से गिरकर पापकर्म करते हैं --- यदि ऐसे लोगों की पिछली तीन -चार पीढ़ियों की जानकारी निष्पक्ष भाव से ली जाये तो निश्चित रूप से यह सत्य सामने आएगा कि उनके पूर्वजों में से कोई -न-कोई ऐसे पापकर्म में संलग्न रहा है l वर्तमान में पाप करने वाला अपने संस्कारों के वशीभूत होकर ही यह कुकर्म कर रहा है l आज विज्ञान को अध्यात्म की जरुरत है l यदि मनुष्य अपने द्वारा किए जाने वाले पापकर्मों के प्रति सजग हो जाये और इस दलदल से उबरना चाहे तो यह अध्यात्म से संभव है l मन्त्र जप कर के , दान -पुण्य , नियमित दिनचर्या , कर्तव्य पालन और स्वयं में सुधार करने की तीव्र इच्छा और ईश्वर के प्रति समर्पण से रूपांतरण संभव है l मनुष्य स्वयं को सुधार कर अपना लोक -परलोक सुधार सकता है और आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा दे सकता है l आज पृथ्वी पर पर्यावरण प्रदूषण , युद्ध , दंगे , अपराध , दुर्घटनाएं , प्राकृतिक आपदाएं , बीमारी , महामारी आदि प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने वाली समस्याएं हैं लेकिन एक सबसे बड़ी समस्या जो दिखाई नहीं देती और विभिन्न दुर्घटनाओं , लोगों में तनाव और अनेक समस्याओं का कारण है वह है ---- ये पापकर्म करने वाले स्वयं तो अपने नीच कर्मों के कारण भूत -प्रेत , पिशाच आदि योनियों में भटकते हैं , ये लोग अपने जीवन में अपनी विकृतियों के कारण बच्चों , महिलाओं और अपने रास्ते में बाधा डालने वालों की हत्या करते हैं और विभिन्न कारणों से अकाल मृत्यु जिनकी हो जाती है वे भी अतृप्त आत्माएं वातावरण में भटकती हैं l इसलिए इस धरती पर समस्याओं का बोझ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों है l यदि ज्ञान , शक्ति , धन -वैभव के साथ विवेक हो , सद्बुद्धि हो , तभी उसका सदुपयोग संभव है l यह वैज्ञानिक प्रगति एकांगी है , जीवन की पूर्णता के लिए अध्यात्म जरुरी है l
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