21 September 2024

WISDOM ----

 राजा  रणजीत  सिंह  का  शासन  काल  था  l  प्रजा  सुखी  थी  l  उनके  पराक्रम  व  न्यायप्रियता   की  ख्याति  सर्वत्र  थी  l  एक  दिन  वे  नगर  भ्रमण  को  निकले   कि  एक  पत्थर  उनके  सिर  पर  आकर  लगा  l  खून  की  धारा  बह  निकली  l  सैनिकों  ने   अपराधी  को  पकड़ा   तो  पता  चला  कि  वह  एक  गरीब  विधवा  महिला  थी  l  उसे  राजा  के  सम्मुख  प्रस्तुत  किया  गया  l  राजा  रणजीत  सिंह  ने  उससे  पत्थर  फेंकने  का  कारण  पूछा   तो  वह  महिला  महिला  बोली ---- " महाराज  !  मैं  विधवा  हूँ  l  मेरे  दो  छोटे -छोटे  बच्चे  हैं  l  आमदनी  का  मेरे  पास  कोई  साधन  नहीं  है  l  मेरे  बच्चों  को  भूख  लगी  थी  l  सामने  बेर  के  पेड़  पर   पके  बेर  देखकर   उन  पर  निशाना  लगाकर   पत्थर  फेंका  ,  पर  वह  भूलवश  आपको  लग  गया  l  यदि  मुझे  पता  होता  कि  आप  यहाँ  से  निकल  रहे  हैं  ,  तो  मैं  कदापि  ऐसा  नहीं  करती   l  मुझे  मेरे  इस  जघन्य  अपराध  के  लिए   मृत्यु  दंड  दिया  जाए  ,  परन्तु  मेरे  दोनों  बच्चों  को  माफ  कर   इन्हें  आप  अपनी  शरण  में  रख  लें  l  "    उस  विधवा  की   बातें  सुनकर   राजा  रणजीत   सिंह   बोले  ---- "  इस  घटना  में  दो  अपराधी  हैं  l  पत्थर  फेंकने  का  अपराध  महिला  का  है   और  उसे  पत्थर  फेंकने  के  लिए   विवश  करने  का  अपराध  मेरा  है  l  मैं  राजा  हूँ ,  मेरे  रहते  प्रजा  में  किसी  को   भूखे  नहीं  रहना  चाहिए  l  मेरे  अपराध  का  दंड  यह  पत्थर  मुझे  दे  चुका  l  इस  महिला  के  अपराध  के  एवज   में  मैं  इसके  पूरे  परिवार  के  भरण -पोषण  की  पूरी  जिम्मेदारी  लेता  हूँ  l "  महाराजा  रणजीत  सिंह  के  वचनों  को  सुनकर  वह  महिला  भावविभोर  हो  गई   और  समस्त  नागरिक  महाराज  की  प्रशंसा  करने  लगे  l  

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