गुरु नानक ने कहा कि तरह - तरह के कर्मकांडों में लगे रहना , पूजा - पाठ का ढोंग करना और इन बातों के नाम पर आपस में झगड़े, द्वेष भाव , कलह फैलाना किसी प्रकार का धर्म नहीं कहा जा सकता l वे आंतरिक पवित्रता को आवश्यक मानते थे l उनकी अधिकतर शिक्षाएं ' जप जी ' नामक गीत में बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की गईं हैं l मुसलमानों में कुरान को और ईसाइयों में बाइबिल को जो गौरव प्राप्त है वह सिख समाज में ' जप जी ' को है l
' गुरु नानक शाह फकीर l
हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर l
' गुरु नानक शाह फकीर l
हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर l
No comments:
Post a Comment