भगवन बुद्ध ने कहा है ---- " प्रवचन - उपदेश के साथ सेवा अनिवार्य रूप से जुड़ी होनी चाहिए क्योंकि सेवा में मिलने वाले कष्टों से , अपमानजनक पीड़ाओं से व्यक्ति का जीवन परिशोधित होता है , इससे अहंकार का विनाश होता है और सेवा से ही संवेदना विकसित होती है l "
पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भी अपने परिजनों को यही समझाया कि ---" भविष्य में कोरे प्रवचन काम न देंगे , सच्ची लोकसेवा को ही प्रतिष्ठा मिलेगी l जो आज केवल धार्मिक आडम्बरों में रत हैं , कल का भविष्य उन्हें अस्वीकृत व तिरस्कृत कर देगा l बदलते हुए समय में युग की यही मांग है कि परिजनों को आसपास के क्षेत्रों में सेवा कार्यों में जुट जाना चाहिए l सेवा से ही संवेदना विकसित होती है और आज की सभी समस्याओं का एकमात्र हल --- संवेदना है l
पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भी अपने परिजनों को यही समझाया कि ---" भविष्य में कोरे प्रवचन काम न देंगे , सच्ची लोकसेवा को ही प्रतिष्ठा मिलेगी l जो आज केवल धार्मिक आडम्बरों में रत हैं , कल का भविष्य उन्हें अस्वीकृत व तिरस्कृत कर देगा l बदलते हुए समय में युग की यही मांग है कि परिजनों को आसपास के क्षेत्रों में सेवा कार्यों में जुट जाना चाहिए l सेवा से ही संवेदना विकसित होती है और आज की सभी समस्याओं का एकमात्र हल --- संवेदना है l
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