9 November 2020

WISDOM ------

   संत  इब्राहीम   ने  ईश्वर  भक्ति  के  लिए  घर  छोड़  दिया   और  वे  भिक्षाटन  पर  निर्वाह  कर  के  साधनारत   रहने  लगे  l  किसी  किसान  के  यहाँ  वे  भिक्षा  मांग  रहे  थे  ,  तो  उसने  रोककर  कहा  --- " आप  जवान  हैं  ,  परिश्रमपूर्वक  निर्वाह  करें   l   बचे  समय  में  साधना  करें  l   समर्थ  का  भिक्षा  माँगना  उचित  नहीं  l  "    इब्राहीम   को  बात  जँच   गई  l   उनने  इस  सदुपदेशकर्ता  का  एहसान   माना   और   कहा ---- "  तो  फिर  इतनी  कृपा  और  करें   कि   मुझे  काम  दिला  दें  ,  ताकि   गुजारे   के  संबंध   में  निश्चिन्त  रहकर   भजन  करता  रह  सकूँ  l  "  किसान   का एक  आम  का  बगीचा  था  l   उसकी  रखवाली  का  काम  सौंप  दिया  l   निर्वाह  का  प्रबंध  हो  गया  ,  दोनों   को सुविधा  रही   l  बहुत  दिनों  बाद   आम  की  फसल  के  दिनों  में  किसान   बगीचे  में  पहुंचा   और  मीठे  आम  तोड़कर  लाने  के  लिए  कहा  l   इब्राहीम   ने  बड़े   और  पके  फल  लाकर  सामने  रख  दिए  l   वे  सभी  खट्टे  थे   l   नाराजी  का  भाव  दिखाते   हुए   किसान  ने  कहा --- " इतने   दिन यहाँ  रहते  हुए  हो  गए  ,  इस  पर  भी  यह  नहीं  देखा  कि  कौन  पेड़  खट्टे  और  कौन  मीठे  फलों  का  है  l  "  इब्राहीम   ने  नम्रता पूर्वक  कहा  --- " मैंने  कभी  किसी  पेड़  का  फल   नहीं  चखा  l   बिना  आपकी  आज्ञा  के  चोरी  कर  के  मैं  क्यों  चखता   ? "  किसान  इस  रखवाले  की  ईमानदारी   और  बफादारी  पर  बहुत  प्रसन्न  हुआ  l   उसने  कहा  --- "  आप  पूरे   समय  भजन  करें   l   निर्वाह  मिलता  रहेगा  l   रखवाला   दूसरा  रख  लेंगे   l   इब्राहीम   दूसरे  दिन  बड़े  सबेरे  ही  उठकर   अन्यत्र  चले  गए  l   चिट्ठी  रख  गए    ,  उसमे  लिखा  था --- " आपने  आरंभ   में  कहा  था    बिना  परिश्रम  के  नहीं  खाना  चाहिए   l  आपकी   उस   अनुशासन  भरी  शिक्षा  से  ही  मेरी  श्रद्धा  बढ़ी  l   अब  तो  आप  ठीक  उलटा   उपदेश  करने  लगे  l   मुफ्त  का  खाने  लगूँ ,  यह  कैसे  होगा  ?  आपकी  बदली  हुई   शिक्षा   को देखकर    मैंने  चला  जाना  ही  उचित  समझा   l   "  जिसके  संस्कार  श्रेष्ठ  होते  हैं    वह  कभी  अपने  पथ  से   भ्रमित  नहीं  होता  ,  कोई  भी  लालच  उसे  डिगा   नहीं पाता l 

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