9 November 2020

WISDOM ------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   का  कहना  है ---- ' हम  सब  के  भीतर  खुशियों  का  खजाना  छिपा  हुआ  है  l   खुशियाँ   चाहते  हो  तो   सबसे  पहले  अपने  अन्तस्   में  खोजो  l   जो  यहाँ  खोजने  की  कोशिश  न  कर  के    बाहर  खोजता  है  ,  वह  सदा  खोजता  ही  रहता  है  ,  किन्तु  पाता   कुछ  भी  नहीं   l  "--------- एक    भिखारी  था   ,  वह  जिंदगी  भर  एक  जगह  पर  बैठकर   भीख  मांगता  रहा  l  उसकी  ख्वाहिश   थी  कि   वह  भी  धनवान  बने  ,  इसलिए  वह  दिन  में  ही  नहीं  ,  रात  में  भी  भीख  मांगता   था  l  जो  कुछ  उसे  भीख  में  मिलता  उसे   खरच  करने  के  बजाय  जोड़ता  रहता  l  अपनी  ख्वाहिश  को  पूरा  करने  के  लिए  उसने  दिन - रात  भरपूर   कोशिश  की  ,  लेकिन   वह कभी  भी  धनवान  न  हो  सका  l   वह  भिखारी  की  तरह  ही  जिया  और   भिखारी  की  तरह  मरा  l   जब  वह  मरा   तो  कफ़न  के  लायक  भी   पूरे   पैसे  उसके  पास  नहीं  थे  l  उसके  मर  जाने   के बाद   आस - पास  के  लोगों  ने उसका  झोंपड़ा   तोड़  दिया  l   फिर  सबने  मिलकर  वहां  की  जमीन   साफ   की  l   सफाई  करने  वाले   इन  सभी  को  तब     भारी   अचरज   हुआ  जब   उन्हें  उस  जगह  पर  बड़ा  भारी   खजाना  गड़ा   हुआ  मिला   l   यह  ठीक  वही  जगह  थी  ,  जिस  जगह  पर   बैठकर    वह  भिखारी  भीख  माँगा  करता  था   l   जहाँ  पर  वह  बैठता  था  ,  उसके  ठीक  नीचे  यह  भारी  खजाना  गड़ा   हुआ  था  l   ---- जो  खुशियों  की  तलाश  में  बाहर  भटकते  हैं  ,  उनकी  हालत  भी  कुछ  ऐसी  ही  है  l   आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- बड़े  से  बड़े   खोजियों  ने , यात्रियों  ने   सारी   दुनिया  में  ,  सारी   उम्र  भटक  कर   अंतत:   यह  खुशियों  का  खजाना   अपने  ही  अन्तस्   में  पाया  है   l  

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