पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी मानव मन के मर्मज्ञ थे , वे कहते हैं ----- " जो सच्चा शूरवीर होता है , वह राह पर सच्चाई के साथ आगे बढ़ता है और दूसरों को आगे बढ़ाने में भी मदद करता है l समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जो अपने से संबंधित किसी भी सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते और सच्चाई को छुपाने के लिए भाँति -भाँति के आडम्बर ओढ़ते हैं झूठ बोलते हैं l आचार्य श्री लिखते हैं ---झूठ का सहारा लेने वाला आत्मविश्वासी नहीं होता , वह हीन ग्रंथियों से घिरा होता है और दूसरों से लाभ प्राप्त करने के लिए उनके साथ छल करता है , उन्हें धोखा देता है l ओढ़े गए आडम्बर कभी भी जीवन में सुकून और शांति नहीं देते l एक -न -एक दिन सच लोगों के सामने आ जाता है l रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं ---' उघरहिं अंत न होइ निबाहू , कालनेमि जिमि रावण राहू l ' ------ हनुमानजी जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तब रावण के कहने पर कालनेमि ने साधु का वेश धारण किया l हनुमानजी उसकी रामभक्ति से प्रभावित हुए लेकिन जब उन्हें पता चला कि यह तो राक्षस है ,उनका मार्ग रोकने के लिए यह सब कर रहा है तो उन्होंने तत्काल ही उसका वध कर दिया l इसी तरह रावण ने वेश बदलकर , साधु का रूप धरकर सीताजी का अपहरण किया l कपट का दंड था कि रावण के साथ सम्पूर्ण राक्षस वंश का अंत हो गया l इसी तरह जब राक्षसी का पुत्र राहु अमृत पान करने के लिए देवताओं के बीच में बैठ गया l जैसे ही उसका सच पता चलकर भगवान ने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया l ढोंग और आडम्बर कर के जो कार्य किया जाता है उसका परिणाम दुःखद होता है l
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