रास्ते में चलते - चलते रात हो जाने से एक मछली बेचने वाली ने किसी एक मालिन के घर का आश्रय लिया l मालिन ने उसे पुष्पगृह के बरामदे में ठहराया और यथायोग्य उसकी सेवा की , परन्तु मछली वाली को किसी तरह नींद न आई l अंत में वह समझ गई कि पुष्पगृह में रखे हुए नाना प्रकार के खिले हुए फूलों की महक से ही उसे नींद नहीं आ रही है l तब उसने मछलियों की टोकरी में जल छिड़क कर उसे सिराहने रख लिया और फिर सुख से सो गई l इसी प्रकार मछली वाली की भाँति विषयी और अज्ञानी मनुष्यों को संसार की सदी दुर्गन्ध को छोड़कर और कुछ अच्छा नहीं लगता है l
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