पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- कायरता इस समाज का सबसे बड़ा कलंक है l संसार के समस्त उत्पीड़न का दायित्व कायरों पर है l ' असुरता तो संसार में शुरू से है , लेकिन उसका रूप इतना भयावह नहीं था , जितना कि वर्तमान समय में है l हमने जिस तीव्र गति से वैज्ञानिक प्रगति की है , उसी गति से अपराध भी बढे हैं l विज्ञानं ने मनुष्य को नास्तिक बना दिया l अब लोग केवल दिखावे के लिए ईश्वर का नाम लेते हैं , हृदय से उन पर , प्रकृति पर विश्वास नहीं करते , स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं लेकिन पहले लोग ईश्वर के बनाए कर्म विधान से डरते थे , ईश्वर पर विश्वास रखते थे , और ईश्वर विश्वास ही आत्मविश्वास है ,और आत्मविश्वासी ही साहसी होता है l ईश्वर ने जब भी धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लिया तो अपने आचरण से समाज को शिक्षा दी , हमें अपने जीवन में सही मार्ग का चयन करना सिखाया जैसे ---- भगवान श्रीराम ने बलवान किन्तु अन्यायी , अधर्मी बालि को छोड़कर दीन - हीन सुग्रीव को अपना मित्र बनाया l यदि भगवान श्रीराम चाहते तो महाबलशाली बालि से मदद लेकर तत्काल समस्या का समाधान पा सकते थे , परन्तु श्रीराम ने स्वेच्छाचारी अन्यायी को छोड़कर सदाचारी दीन का पक्ष लिया l
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