राबिया परम विदुषी महिला संत थीं l एक दिन कुछ लोगों ने उनसे कहा --- ' हमारे मन में शांति नहीं है , आनंद नहीं है l सब सुख वैभव है लेकिन मन बहुत बेचैन रहता है l " राबिया ने उस समय तो कुछ नहीं कहा l एक दिन उन लोगों ने देखा कि वे अपनी झोंपड़ी के बाहर कुछ ढूंढ रहीं हैं l लोगों के पूछने पर वे बोलीं --- " मैं सुई ढूंढ रही हूँ l यह सुनकर लोग भी उनके साथ सुई ढूँढने लगे l बहुत देर तक सुई खोजने पर भी नहीं मिली तो किसी ने पूछा ---- " आपकी सुई कहाँ कहाँ गिरी थी , ताकि उसी स्थान पर हम उसे खोजें ? " राबिया ने कहा --- " सुई तो मेरी झोंपड़ी के अन्दर खोई थी l " सुनकर सभी लोग हँसने लगे l उनमें से एक व्यक्ति ने कहा --- ' जब आपकी सुई झोंपड़ी के अन्दर खोई थी , तो आप उसे बाहर क्यों ढूंढ रही हैं ? ' राबिया ने कहा ---- " अंदर झोंपड़ी में अँधेरा है , लेकिन बाहर रौशनी है , इसलिए मुझे अँधेरे में सुई कैसे मिलती ? " लोग बोले ---- " अंदर प्रकाश करो और ढूंढों , सुई मिल जाएगी l " इस पर राबिया मुस्कराते हुए बोलीं ---- " अपने जीवन में तुम सभी इस ज्ञान का प्रयोग क्यों नहीं करते ? तुम बाहर आनंद की खोज करते हो , जबकि वह अंदर ही है l तुम्हे अंदर प्रकाश की व्यवस्था कर के उसे वहां ढूंढना चाहिए न कि बाहर l "
No comments:
Post a Comment