कभी एक अवगुण इतना भारी होता है कि वह सारे गुणों को ढक देता है l रावण ने सीताजी का अपहरण किया , यह उसका इतना बड़ा दोष था जिसने उसके सारे गुणों को ढक दिया l
रावण चारों वेद व शास्त्र का ज्ञाता , बलशाली और महा तपस्वी था l वह महान अर्थशास्त्री था , तभी तो उसकी सोने की लंका थी l राजनीति व कूटनीति में कुशल था l रावण एक कुशल संगठनकर्ता था l उसने बड़े ही असाधारण ढंग से राक्षस , असुर , दानव आदि प्रजातियों को संगठित किया l इस संगठन संरचना को उसने रक्षसंस्कृति का नाम दिया l अपने इस संगठन को उसने एक महामंत्र दिया --- ' वयं रक्षाम: ' l -- इसका अर्थ है --- हम रक्षा करेंगे ' इसमें संगठन के सभी सदस्यों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति का आश्वासन है l सदस्यों को रावण के व्यक्तित्व और विचारों में आस्था थी l दशानन उनके लिए केवल सेनापति या राजा नहीं था , बल्कि वह उनके लिए गुरु एवं भगवान था l उसका यह संगठन भावनाओं के अटूट बंधन से बंधा था , इसलिए अति सुद्रढ़ था l
रावण के व्यक्तित्व के अध्ययन से यही शिक्षा है कि केवल एक ही अवगुण मनुष्य को पतन के गर्त में धकेल देता है इसलिए जीवन को बहुत सावधानी से जीना चाहिए l
रावण चारों वेद व शास्त्र का ज्ञाता , बलशाली और महा तपस्वी था l वह महान अर्थशास्त्री था , तभी तो उसकी सोने की लंका थी l राजनीति व कूटनीति में कुशल था l रावण एक कुशल संगठनकर्ता था l उसने बड़े ही असाधारण ढंग से राक्षस , असुर , दानव आदि प्रजातियों को संगठित किया l इस संगठन संरचना को उसने रक्षसंस्कृति का नाम दिया l अपने इस संगठन को उसने एक महामंत्र दिया --- ' वयं रक्षाम: ' l -- इसका अर्थ है --- हम रक्षा करेंगे ' इसमें संगठन के सभी सदस्यों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति का आश्वासन है l सदस्यों को रावण के व्यक्तित्व और विचारों में आस्था थी l दशानन उनके लिए केवल सेनापति या राजा नहीं था , बल्कि वह उनके लिए गुरु एवं भगवान था l उसका यह संगठन भावनाओं के अटूट बंधन से बंधा था , इसलिए अति सुद्रढ़ था l
रावण के व्यक्तित्व के अध्ययन से यही शिक्षा है कि केवल एक ही अवगुण मनुष्य को पतन के गर्त में धकेल देता है इसलिए जीवन को बहुत सावधानी से जीना चाहिए l
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