पुरुषार्थ की दिशा यदि सही नहीं है , तो धुंआधार काम कर के भी परिणाम ' नहीं ' के बराबर रहता है --- कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं , जिन्हे अपने प्रयत्न का सार्थक पक्ष यही दीखता है कि अपनी अवांछनीय परिस्थिति के लिए किसी अन्य को दोषी ठहरा दें l भगवान से लेकर अपने आसपास के किसी व्यक्ति को उसका लांछन देने , उसका कारण सिद्ध करने में ही वह अपना सारा समय और सारी अकल खर्च कर देते हैं l
कुछ ऐसी मनोभूमि के व्यक्ति होते हैं जो समस्याओं के मूल कारणों को देखते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए दमखम के साथ उतर पड़ते हैं l उनके समय , श्रम और सूझबूझ की सार्थकता अधिक होती है l एक कारण का निवारण हो जाने पर उनकी अनेक कठिनाइयां अनायास ही सरल होती चली जाती हैं l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- बड़े परिवर्तन सदैव सही दिशा में कार्य करने वाले पुरुषार्थियों द्वारा संभव हुए हैं l समझदारी इसी में है कि पुरुषार्थ की सही दिशा तय कर लेनी चाहिए l
कुछ ऐसी मनोभूमि के व्यक्ति होते हैं जो समस्याओं के मूल कारणों को देखते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए दमखम के साथ उतर पड़ते हैं l उनके समय , श्रम और सूझबूझ की सार्थकता अधिक होती है l एक कारण का निवारण हो जाने पर उनकी अनेक कठिनाइयां अनायास ही सरल होती चली जाती हैं l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- बड़े परिवर्तन सदैव सही दिशा में कार्य करने वाले पुरुषार्थियों द्वारा संभव हुए हैं l समझदारी इसी में है कि पुरुषार्थ की सही दिशा तय कर लेनी चाहिए l