एक राजा को सदैव यह भय रहता था कि कहीं कोई शत्रु उस पर हमला न कर दे l इसलिए उसने किले के चारों ओर बड़ी दीवारों का निर्माण कराया , जिनके बीच में गहरी खाइयां थीं l आने जाने का केवल एक ही मार्ग छोड़ा , ताकि कहीं से कोई शत्रु प्रवेश न कर सके l इतना सब कर के उसे संतोष हो गया कि अब कोई शत्रु उसे मारने के लिए अंदर प्रवेश नहीं कर सकता l अपनी उपलब्धि पर कुलगुरु की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उसने उनको महल में आमंत्रित किया l कुलगुरु ने पूरा महल देखा फिर राजा से बोले ---- " राजन ! ये तो ठीक है कि इस महल में अब कोई शत्रु प्रवेश नहीं कर सकता , परन्तु मृत्यु के आने - जाने के लिए द्वार की आवश्यकता नहीं होती l उसका आना रोकने के लिए तुमने क्या व्यवस्था की है ? " अब राजा को अपनी भूल का भान हुआ और उसे समझ में आया कि आत्मा की सुरक्षा ही सबसे बड़ी सुरक्षा है , बाहर के उपाय तो मात्र मन की सांत्वना के लिए हैं l
No comments:
Post a Comment