25 February 2020

मानसिक गुलाम

     वर्षों  तक  गुलाम  रहने  के  बाद  गुलामी  की  आदत  बन  जाती  है  l   बस  !  गुलाम  बनाने  वालों  के  चेहरे  बदल  जाते  है  l  यह  मानसिक  गुलामी   सबसे  बुरी  है  l   मनुष्य  अपने  स्वार्थ , लालच   और  मानसिक  भटकाव  की  वजह  से    अपने  स्वतंत्र  अस्तित्व  को  खोकर  मानसिक  गुलाम  बन  जाता  है   और   दूसरे  उससे   फायदा  उठायें ,  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करें  ,  इसके  लिए  स्वयं  को  प्रस्तुत  कर  देता  है  l  एक  गाने  की  पंक्तियाँ  हैं --- ' बोल   री   कठपुतली   डोरी  कौन  संग  बाँधी  ,  सच  बतला  तू  नाचे  किसके  लिए  ? '
  मानसिक  गुलामी  एक  वृत्ति  है   l   गरीब  व्यक्ति  जिसके  पास  खोने  के  लिए  कुछ  नहीं  है  ,  वह  फिर  भी  स्वाभिमान  से   मेहनत  - मजदूरी  कर  के  जी  लेता  है   l   जिनके  पास   बहुत  कुछ  है  ,  उसके  खो  जाने  का  भय  उन्हें   मानसिक  गुलाम  बना  देता  है  l 

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