वर्षों तक गुलाम रहने के बाद गुलामी की आदत बन जाती है l बस ! गुलाम बनाने वालों के चेहरे बदल जाते है l यह मानसिक गुलामी सबसे बुरी है l मनुष्य अपने स्वार्थ , लालच और मानसिक भटकाव की वजह से अपने स्वतंत्र अस्तित्व को खोकर मानसिक गुलाम बन जाता है और दूसरे उससे फायदा उठायें , अपना स्वार्थ सिद्ध करें , इसके लिए स्वयं को प्रस्तुत कर देता है l एक गाने की पंक्तियाँ हैं --- ' बोल री कठपुतली डोरी कौन संग बाँधी , सच बतला तू नाचे किसके लिए ? '
मानसिक गुलामी एक वृत्ति है l गरीब व्यक्ति जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है , वह फिर भी स्वाभिमान से मेहनत - मजदूरी कर के जी लेता है l जिनके पास बहुत कुछ है , उसके खो जाने का भय उन्हें मानसिक गुलाम बना देता है l
मानसिक गुलामी एक वृत्ति है l गरीब व्यक्ति जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है , वह फिर भी स्वाभिमान से मेहनत - मजदूरी कर के जी लेता है l जिनके पास बहुत कुछ है , उसके खो जाने का भय उन्हें मानसिक गुलाम बना देता है l
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