चरित्र मनुष्य की श्रेष्ठता का बहुत बड़ा प्रमाण है l चन्द्रशेखर आजाद का सबसे बड़ा सम्बल उनका चरित्र था l इसको उन्होंने सदा महत्व दिया और इस धारणा पर जीवन के अंत तक दृढ़ रहे l चरित्रहीन व्यक्ति से वे सदा घृणा करते थे l उनके इस महान गुण की कुछ स्वार्थी तत्वों ने खिल्ली उड़ाई , उसे आजाद की भूल बतलाया , परन्तु स्वार्थियों का यह प्रयत्न अपने अवगुण छिपाने का प्रयास मात्र था l
चन्द्रशेखर आजाद कहा करते थे --- " ' अपने प्रति कठोरता , दूसरों के प्रति उदारता ' की नीति के अनुरूप संगठन के जिम्मेदार लोग व्यवहार करते हैं तभी तक संगठन जीवित रहता है l सामूहिकता तभी बरकरार रह सकेगी जब तक किफायतशारी को अपनाया और महत्वाकांक्षाओं को ठुकराया जाता रहेगा l बड़प्पन सुविधा संवर्द्धन का नहीं सद्गुण संवर्द्धन का नाम है l अच्छाई का महत्व समझो , देश को हम लोगों से कितनी आशा है l हम क्रांतिकारी माने जाते हैं , एक बड़े परिवर्तन के लिए प्रयत्नशील हैं l "
आजाद अपने साथियों से कह रहे थे --- " क्रान्तिकारी का मतलब जानते हो ? कुछ चुप रहकर वे बोले --- जो वर्तमान में भी भविष्य में होने वाले परिवर्तन के अनुरूप जी रहा हो l जिसकी जिंदगी के छोटे - छोटे क्रियाकलाप को देखकर हर कोई कह सके , अहा ! ऐसा होगा स्वर्णिम भविष्य जिसके लिए वे लोग प्रयासरत हैं l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने वाङ्मय ' महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग ' में लिखा है -----
" गुणों को हृदय में धारण कर के आपत्तिकालीन धर्म के रूप में तोड़ - फोड़ भी स्वीकार करने वाले क्रांतिकारी देश के निर्माण में कभी बाधक नहीं बने और शान्ति की दुहाई देने वाले अंत:करण के हीन व्यक्तित्वों के कारनामे हमारे सामने रोज आया करते हैं , फिर भी नयी पीढ़ी को बनाने ढालने में हम उनके आंतरिक गठन की उपेक्षा कर के अपने मानसिक दिवालियेपन का नमूना प्रस्तुत किये जा रहे हैं l "
चन्द्रशेखर आजाद कहा करते थे --- " ' अपने प्रति कठोरता , दूसरों के प्रति उदारता ' की नीति के अनुरूप संगठन के जिम्मेदार लोग व्यवहार करते हैं तभी तक संगठन जीवित रहता है l सामूहिकता तभी बरकरार रह सकेगी जब तक किफायतशारी को अपनाया और महत्वाकांक्षाओं को ठुकराया जाता रहेगा l बड़प्पन सुविधा संवर्द्धन का नहीं सद्गुण संवर्द्धन का नाम है l अच्छाई का महत्व समझो , देश को हम लोगों से कितनी आशा है l हम क्रांतिकारी माने जाते हैं , एक बड़े परिवर्तन के लिए प्रयत्नशील हैं l "
आजाद अपने साथियों से कह रहे थे --- " क्रान्तिकारी का मतलब जानते हो ? कुछ चुप रहकर वे बोले --- जो वर्तमान में भी भविष्य में होने वाले परिवर्तन के अनुरूप जी रहा हो l जिसकी जिंदगी के छोटे - छोटे क्रियाकलाप को देखकर हर कोई कह सके , अहा ! ऐसा होगा स्वर्णिम भविष्य जिसके लिए वे लोग प्रयासरत हैं l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने वाङ्मय ' महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग ' में लिखा है -----
" गुणों को हृदय में धारण कर के आपत्तिकालीन धर्म के रूप में तोड़ - फोड़ भी स्वीकार करने वाले क्रांतिकारी देश के निर्माण में कभी बाधक नहीं बने और शान्ति की दुहाई देने वाले अंत:करण के हीन व्यक्तित्वों के कारनामे हमारे सामने रोज आया करते हैं , फिर भी नयी पीढ़ी को बनाने ढालने में हम उनके आंतरिक गठन की उपेक्षा कर के अपने मानसिक दिवालियेपन का नमूना प्रस्तुत किये जा रहे हैं l "
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