पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है --- " प्रतिभा ईश्वर प्रदत्त एक ऐसा उपहार है जो हर व्यक्ति को , उसने बिना किसी भेदभाव के बांटा है l अब यह उस व्यक्ति पर निर्भर है कि वह उस क्षमता का विकास किस प्रकार कर लेता है l '
आचार्य श्री लिखते हैं --- ' प्रतिभाशाली होने का अर्थ है ---- विनम्र , साहसी एवं संकल्पवान बनना l इसके अभाव में मनुष्य महानता के उच्च सोपानों को प्राप्त नहीं कर सकता l '
संसार में जितने भी प्रतिभाशाली महापुरुष हुए हैं , अत्यंत निर्धनता की स्थिति में भी वे पीड़ा और पतन निवारण के अपने कार्य से च्युत नहीं हुए l यद्द्पि धन का लालच , पद का प्रलोभन एवं उच्च वर्ग के दबाव उन पर कम नहीं थे , फिर भी वे जीवन भर उसका साहस पूर्वक सामना करते रहे और प्रेम , सम्मान और चरित्र से प्रेरित होकर कार्य करते रहे l
अंग्रेज शासक चार्ल्स द्वितीय के सांसदों में मार्वल एक ऐसा प्रतिभाशाली सदस्य था जिससे निरंकुश शासक को अपनी सत्ता छिन जाने का सतत भय बना रहता था l जनता उसके विरुद्ध थी और उसका नेतृत्व मार्वल के हाथों में सुरक्षित था l राजा ने सभी प्रमुख व्यक्तियों को कामिनी - कांचन का प्रलोभन देकर अपने पक्ष में कर लिया फिर भी मार्वल को वह अपनी मुट्ठी में न ले सका l चार्ल्स के लाखों प्रयत्न भी उसे उसके कर्तव्य पथ से विचलित न कर सके l उसका कोषाध्यक्ष डेनवी जब एक लाख पौंड लेकर सांसद के पास पहुंचा तो उसने यह कहते हुए वापस कर दिया --- " मैं यहाँ उन लोगों की सेवा करने आया हूँ जिन्होंने मुझे चुन कर भेजा है l अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए राजा किसी और मंत्री को चुन ले , मैं उनमे से नहीं हूँ l " मार्वल की सादगी और चरित्र निष्ठा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है l उसकी समाधि पर अंकित ये शब्द आज भी कितने सार्थक हैं ----- " अच्छे लोग उससे प्यार करते थे , बुरे लोग उससे डरते थे , कुछ लोग उसका अनुकरण करते थे परन्तु उसकी बराबरी करने वाला कोई न था l "
आचार्य श्री लिखते हैं --- ' प्रतिभाशाली होने का अर्थ है ---- विनम्र , साहसी एवं संकल्पवान बनना l इसके अभाव में मनुष्य महानता के उच्च सोपानों को प्राप्त नहीं कर सकता l '
संसार में जितने भी प्रतिभाशाली महापुरुष हुए हैं , अत्यंत निर्धनता की स्थिति में भी वे पीड़ा और पतन निवारण के अपने कार्य से च्युत नहीं हुए l यद्द्पि धन का लालच , पद का प्रलोभन एवं उच्च वर्ग के दबाव उन पर कम नहीं थे , फिर भी वे जीवन भर उसका साहस पूर्वक सामना करते रहे और प्रेम , सम्मान और चरित्र से प्रेरित होकर कार्य करते रहे l
अंग्रेज शासक चार्ल्स द्वितीय के सांसदों में मार्वल एक ऐसा प्रतिभाशाली सदस्य था जिससे निरंकुश शासक को अपनी सत्ता छिन जाने का सतत भय बना रहता था l जनता उसके विरुद्ध थी और उसका नेतृत्व मार्वल के हाथों में सुरक्षित था l राजा ने सभी प्रमुख व्यक्तियों को कामिनी - कांचन का प्रलोभन देकर अपने पक्ष में कर लिया फिर भी मार्वल को वह अपनी मुट्ठी में न ले सका l चार्ल्स के लाखों प्रयत्न भी उसे उसके कर्तव्य पथ से विचलित न कर सके l उसका कोषाध्यक्ष डेनवी जब एक लाख पौंड लेकर सांसद के पास पहुंचा तो उसने यह कहते हुए वापस कर दिया --- " मैं यहाँ उन लोगों की सेवा करने आया हूँ जिन्होंने मुझे चुन कर भेजा है l अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए राजा किसी और मंत्री को चुन ले , मैं उनमे से नहीं हूँ l " मार्वल की सादगी और चरित्र निष्ठा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है l उसकी समाधि पर अंकित ये शब्द आज भी कितने सार्थक हैं ----- " अच्छे लोग उससे प्यार करते थे , बुरे लोग उससे डरते थे , कुछ लोग उसका अनुकरण करते थे परन्तु उसकी बराबरी करने वाला कोई न था l "
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