' अशुद्ध वह नहीं करता जो कुछ मुंह में जाता है , अशुद्ध वास्तव में वह करता है जो मुंह से बाहर निकलता है l क्योंकि जो मुंह में जाता है वह पेट में पचकर मल होकर निकल जाता है l किन्तु जो कुछ मुंह से निकलता है वह मन की गंदगी की गवाही देता है और वही मनुष्य को गन्दा करता है l गाली , असत्य , निंदा , चुगली आदि विकार मुख द्वारा मन से निकलते हैं और यही मनुष्य को अशुद्ध बनाते हैं l बिना हाथ धोये भोजन करना उतना अशुद्ध नहीं है जितना कि गन्दी बात कहना l इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि बाह्य क्रियाओं से पूर्व अपने मन को शुद्ध करने का यत्न करो l क्योंकि पिता के स्वर्ग राज्य में तन की नहीं मन की शुद्धता पर विचार किया जाता है l' -------- सेंटपाल
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