कहते हैं --- ' खाली मन शैतान का घर l ' फिर यदि इस शैतान को 6 - 8 घंटे परिश्रम किये बिना पर्याप्त धन मिल जाये तो वह शैतानियत पर उतर आता है l बिना मेहनत का धन यदि व्यक्ति को मिल जाये , जिसमे विवेक नहीं है तो ऐसा पैसा उसमे नशा , शराब , व्यभिचार आदि बुरी आदतों को बढ़ाता है , इसमें बाधा आने पर व्यक्ति अपराध की और बढ़ने लगता है l
जब कभी कोई भी व्यवस्था अपनी जनता को खुश करने के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बिना परिश्रम के बड़ी - बड़ी धनराशि देती है तो इससे लोगों में आलस की प्रवृति बढ़ती है और यह आलस ही तमाम दुष्प्रवृतियों की जड़ है l
जब अमेरिका में महामंदी का दौर था उस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस महामंदी से निपटने के लिए महान अर्थशास्त्री प्रो, कीन्स से परामर्श किया l तब प्रो. कीन्स ने कहा था कि मंदी के इस भयानक दौर में जब भीषण बेरोजगारी है , बाजार में निराशा का वातावरण है ऐसे समय में सरकार को विभिन्न सार्वजनिक निर्माण कार्यों में धन खर्च ( विनियोग ) करना चाहिए जिससे लोगों को रोजगार मिले , आय प्राप्त हो , इससे उपभोग और बचत दोनों बढ़ेंगे और मंदी दूर होगी l
प्रो, कीन्स ने एक महत्वपूर्ण सलाह जो दी वो यह कि यदि सरकार के पास कोई उत्पादक कार्य न हों तो दिन भर गड्ढे खुदवाए और शाम को उन्हें भरवा दे l इसका अर्थ यही है कि बिना परिश्रम के कोई पैसा नहीं दिया जाये l जब दिन भर एक निश्चित समय तक परिश्रम करें तभी उन्हें वेतन , मजदूरी मिले तभी उसका सकारात्मक दिशा में सदुपयोग संभव है l