समाज की , संसार की जो भी समस्या हों , जब तक लोगों की मानसिकता परिष्कृत नहीं होगी , उनका उचित व स्थायी हल संभव नहीं है l जब तक लोगों के मन में ईर्ष्या - द्वेष , छल - कपट , लोभ - लालच आदि बुराइयाँ हैं , समस्याओं का हल संभव नहीं है l
एक सधा हुआ ऊंट था l नक्कारखाने का कोई उत्सव होता तो उसकी पीठ पर नगाड़ा लादकर चोबदार उसे बजाता हुआ चलता l ऊँट बहुत बूढ़ा हो गया तो काम का न रहा इसलिए उसे खुला छोड़ दिया गया l राजा का होने से उसे कोई मारता नहीं था l ऊंट एक दिन बुढ़िया के सूखते हुए अनाज को खाने लगा l बुढ़िया ने सूप बजाकर भगाना चाहा l ऊंट ने कहा --- " जन्म भर नगाड़ों की आवाज सुनता रहा हूँ , तुम्हारे सूप से क्या डरने वाला हूँ l "
जिस पर समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है , अपने आचरण से समाज को शिक्षित करना है , वे भी अपने जीवन भर के संस्कारों से ग्रसित हैं l
एक सधा हुआ ऊंट था l नक्कारखाने का कोई उत्सव होता तो उसकी पीठ पर नगाड़ा लादकर चोबदार उसे बजाता हुआ चलता l ऊँट बहुत बूढ़ा हो गया तो काम का न रहा इसलिए उसे खुला छोड़ दिया गया l राजा का होने से उसे कोई मारता नहीं था l ऊंट एक दिन बुढ़िया के सूखते हुए अनाज को खाने लगा l बुढ़िया ने सूप बजाकर भगाना चाहा l ऊंट ने कहा --- " जन्म भर नगाड़ों की आवाज सुनता रहा हूँ , तुम्हारे सूप से क्या डरने वाला हूँ l "
जिस पर समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी है , अपने आचरण से समाज को शिक्षित करना है , वे भी अपने जीवन भर के संस्कारों से ग्रसित हैं l
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