जब संवेदना होती है तब दूसरों के कष्ट तकलीफ अपनी पीड़ा के समान लगते हैं , मन में बेचैनी होती है , और जब तक उसकी पीड़ा के निवारण के लिए कुछ कर न दिया जाये तब तक मन को शांति नहीं मिलती है l
देश के लिए जीवन समर्पित करने से पूर्व एक बार महात्मा गाँधी ने देश का भ्रमण किया और देश की स्थिति से परिचित होने पर वे अपने शरीर पर आजीवन पूरी धोती भी नहीं पहन सके l क्योंकि देश की पीड़ा को देखकर , महसूस कर के पूरे कपड़े पहनने के सुख का उन्होंने त्याग कर दिया , और धीरे - धीरे अपने जीवन में किये जाने वाले छोटे - छोटे त्याग के फलस्वरूप वे ' महात्मा ' के पद से विभूषित हुए l
देश के लिए जीवन समर्पित करने से पूर्व एक बार महात्मा गाँधी ने देश का भ्रमण किया और देश की स्थिति से परिचित होने पर वे अपने शरीर पर आजीवन पूरी धोती भी नहीं पहन सके l क्योंकि देश की पीड़ा को देखकर , महसूस कर के पूरे कपड़े पहनने के सुख का उन्होंने त्याग कर दिया , और धीरे - धीरे अपने जीवन में किये जाने वाले छोटे - छोटे त्याग के फलस्वरूप वे ' महात्मा ' के पद से विभूषित हुए l
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