जब तक व्यक्ति का चित शुद्ध न हो , ईश्वर का नाम स्मरण करना बहुत कठिन है l मन चंचल है , संस्कार शुद्धि के बिना सुमिरन आसान नहीं है l
जयदयाल गोयन्दका जी कलकत्ता के एक बड़े उद्दोगपति और धर्मपरायण व्यक्ति थे l उन्होंने श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी के साथ मिलकर धार्मिक प्रकाशनों द्वारा ऐसी क्रांति की जिससे लोगों में सच्चे धर्म के प्रति रूचि पैदा हुई l एक बार का प्रसंग है ----- उनने देखा एक भिखारी भगवान के नाम पर भिक्षा मांग रहा है l उनने उससे कहा --- " तुम्हारी यह स्थिति बदल जाएगी , यदि हमारे कहे पर चलोगे l " उससे पूछा ---- " तुम एक दिन में कितना कमा लेते हो ? "
भिखारी ने कहा ---- " कभी चार आने कभी आठ आने l " ( उस समय इसकी कीमत बहुत थी )
उनने कहा --- " हम दो रूपये रोज देंगे l हमारी दुकान के बाहर बैठकर राम - राम जपो l "
वह बैठ गया , पर तीन - चार दिन बाद गायब हो गया l फिर मिला तो , भीख मांग रहा था l
गोयन्दका जी बोले --- " हमसे पांच रूपये रोज ले लो , पर राम - नाम का जप वहीं दुकान के सामने करो l " वह प्रलोभन में आया तो , पर अधिक बैठ नहीं पाया l फिर जयदयाल जी ने उसे ढूंढ निकाला l कारण पूछा तो वह बोला ---- " " आप पूरी दुकान भी लिख दो तब भी वह राम - नाम जपने का काम हम नहीं कर पाएंगे l हमें भीख मांगने में जो आनंद आता है , वह आपके दिए पैसों में नहीं , और फिर हमारा मन भी नहीं लगता l "
सुमिरन आसान नहीं है l
जयदयाल गोयन्दका जी कलकत्ता के एक बड़े उद्दोगपति और धर्मपरायण व्यक्ति थे l उन्होंने श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी के साथ मिलकर धार्मिक प्रकाशनों द्वारा ऐसी क्रांति की जिससे लोगों में सच्चे धर्म के प्रति रूचि पैदा हुई l एक बार का प्रसंग है ----- उनने देखा एक भिखारी भगवान के नाम पर भिक्षा मांग रहा है l उनने उससे कहा --- " तुम्हारी यह स्थिति बदल जाएगी , यदि हमारे कहे पर चलोगे l " उससे पूछा ---- " तुम एक दिन में कितना कमा लेते हो ? "
भिखारी ने कहा ---- " कभी चार आने कभी आठ आने l " ( उस समय इसकी कीमत बहुत थी )
उनने कहा --- " हम दो रूपये रोज देंगे l हमारी दुकान के बाहर बैठकर राम - राम जपो l "
वह बैठ गया , पर तीन - चार दिन बाद गायब हो गया l फिर मिला तो , भीख मांग रहा था l
गोयन्दका जी बोले --- " हमसे पांच रूपये रोज ले लो , पर राम - नाम का जप वहीं दुकान के सामने करो l " वह प्रलोभन में आया तो , पर अधिक बैठ नहीं पाया l फिर जयदयाल जी ने उसे ढूंढ निकाला l कारण पूछा तो वह बोला ---- " " आप पूरी दुकान भी लिख दो तब भी वह राम - नाम जपने का काम हम नहीं कर पाएंगे l हमें भीख मांगने में जो आनंद आता है , वह आपके दिए पैसों में नहीं , और फिर हमारा मन भी नहीं लगता l "
सुमिरन आसान नहीं है l
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