अंग्रेजी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार सामरसेट माम 1938 में प्रथम बार भारत आये l यहाँ से विदा होने पर जब उनसे पूछा गया कई भारत की कौन सी वस्तु ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया तो उन्होंने कहा ---- " मुझे आगरा के ताजमहल , बनारस के घाट, मथुरा के मंदिर और त्रावनकोर के पर्वतों ने बिलकुल भी प्रभावित नहीं किया l मैंने भारत के गरीब किसानों को , लंगोटी लगाये , भूखे पेट काम करते देखा l वह सूर्योदय से पूर्व की कड़कड़ाती ठण्ड में काम करता है , दोपहरी की तपती धूप उसे पसीने से लथपथ कर देती है और सूर्यास्त तक अपना खेत जोतता है , मेहनत करता है l वह गत 300 वर्षों से इसी प्रकार धरती माता के लिए अपना पसीना बहाता आ रहा है और इसके बदले में उसे अल्प मात्र में निर्वाह सामग्री प्राप्त हो जाती है l भारतीय कृषकों की स्थिति देखकर मेरे ह्रदय में हलचल उत्पन्न हो गई l "
भारत यात्रा के ऐसे तीखे संस्मरण उन्होंने अपने देश लौटकर ' एक लेखक की नोटबुक ' में लिखे l
भारत यात्रा के ऐसे तीखे संस्मरण उन्होंने अपने देश लौटकर ' एक लेखक की नोटबुक ' में लिखे l
No comments:
Post a Comment