11 May 2025

WISDOM -----

 ईर्ष्या ,  द्वेष  , अहंकार  ऐसे  दुर्गुण  हैं    कि  ये  व्यक्ति  को  मानसिक  रूप  से  विकृत  कर  देते  हैं  l   अहंकार  के  साथ  सबसे  बुरी  बात  यह  है  कि  अहंकारी  अपनी  हार  बर्दाश्त  नहीं  कर  पाता  l  उसके  अहंकार  को  जब  पोषण  नहीं  मिलता  तो  यह  अहंकार  घाव  की  भांति  रिसने  लगता  है  l  ऐसा  अहंकारी  यदि  ईर्ष्यालु  भी  है   तो  वह  अपने  अहंकार  के  पोषण  के  लिए  अधम  से  अधम  कार्य  करने   पर  उतारू  हो  जाता  है  , उसे  परिणाम  की  परवाह  नहीं  होती  l  ---महाभारत  में  अश्वत्थामा  ने  यही  किया   l    पहले  उसने  शिविर  में  सोते  हुए  द्रोपदी  के  पांच  पुत्रों  का  गला  काट  दिया   और  शिविर  में  आग  लगा  दी  l  इससे  भी  उसका  जी  नहीं  भरा  l  इस  युग  में  जैसे  अणुबम  है  ,  उस  समय   ब्रह्मास्त्र  था  l  अश्वत्थामा  को   ब्रह्मास्त्र  चलाना  तो  आता  था  लेकिन  उसे  वापस  बुलाना  नहीं  आता  था  l  अहंकार  और  ईर्ष्या  उस  पर   इस  तरह  हावी  था  कि  उसने  अभिमन्यु  की  पत्नी  उत्तरा  के  गर्भ  को  लक्ष्य  कर  के  एक  सरकंडे  को  मन्त्र  पढ़कर   उत्तरा    के  गर्भ  की  ओर  फेंका   ताकि  पांडवों  के  वंश  का  भी  समूल  नाश  हो  जाए  l  उस  समय  भगवान  श्रीकृष्ण  थे   , उन्होंने  गर्भस्थ  शिशु  की  रक्षा  की  l  वर्तमान  युग   की  सबसे  दुःखद   बात  यही  है  कि   इस  युग  में  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  है   l  दुर्बुद्धि  के  साथ  यदि  ईर्ष्या  और  अहंकार  भी  है   तो  ब्रह्मास्त्र  का  इतिहास  दोहराया  जा  सकता  है  ,  घातक  बम  फेंक  दो  ,  उसे  वापस  लौटाने  की  विद्या  तो  विज्ञान   के  पास  नहीं   है  l  पल  भर  में  समूची  धरती  श्मशान  बन  सकती  है , युगों  का  विकास  पल  भर  में  राख  हो  सकता  है   l   भगवान  श्रीकृष्ण  हमारे  सामने  नहीं  है  लेकिन  वे   निरंतर  कोई  सन्देश  और  संकेत   भेजते  हैं  कि  मनुष्य  जागरूक  हो  ,  अपनी  सुरक्षा  का  घेरा  इतना  मजबूत  बनाओ  कि  कोई  उसमें  प्रवेश  न  कर  सके  l  युद्ध  की  नौबत  ही  न  आए  l  असुरों  को  निपटाने  के  लिए  युगों  से  कितने  ही  युद्ध  हुए   लेकिन  असुरता  का  साम्राज्य  समाप्त  नहीं  होता  है  l  ईश्वर   विभिन्न  देवदूतों  के  माध्यम  से  संसार  को  यह  सन्देश  देते  हैं  कि  असुरों  की  चेतना  में  , उनके  मन  में  परिवर्तन  हो  जाये   तो  उनके  भीतर  की  असुरता  समाप्त  हो  जाएगी  l  इसका  सबसे  सरल  उपाय  है  --- 'गायत्री  मन्त्र  '  l  इससे  व्यक्ति  को  सद्बुद्धि  आएगी  l  

WISDOM -----

हमारे  ऋषियों  ने , विद्वानों ने  , कथाकारों  ने  बहुत  छोटी -छोटी  कथाएं  कहीं  हैं  l  वे  छोटी  अवश्य  हैं  लेकिन  उनके  भीतर   ऐसा  ज्ञान   और  प्रेरणा  है  जो  परिवार , समाज  और  राष्ट्र  सभी  के  लिए  उपयोगी  है  -------  दो  बिल्लियाँ  थीं  ,  प्रेम  से  रहतीं  और  मिल -बांटकर  खाती  थीं  l  एक  दिन  उन्हें  एक  रोटी  मिल  गई  ,  घी  चुपड़ी  थी , बहुत  अच्छी  उसकी  खुशबू  थी   तो  स्वाद  कितना  अच्छा  होगा  l   दोनों  बिल्लियों  की  इच्छा  थी  कि  पूरी  रोटी  वे  ही  खा  लें  l  इस  रोटी  को  लेकर  दोनों  आपस  में  लड़ने  लगीं  l  लड़ाई  बहुत  बढ़  गई  l  पेड़  पर  बैठा  बन्दर  यह  सब  देख  रहा  था  l  लालच  उसके  मन  में  भी  था  , क्यों  न  वह  झपट्टा  मारकर  इस  पूरी  रोटी  को  हड़प  ले  l  बन्दर  को  एक  युक्ति  सूझी  , वह  तराजू  लेकर  बिल्लियों  के  पास  गया   और  बोला  --- ' बिल्ली  मौसी  !   क्यों   लड़ती  हो  ?  मेरे  पास  तराजू  है  , लाओ  मैं  रोटी  को  आधा -आधा  कर  दूँ  l '  बिल्लियों  ने  बन्दर  पर  विश्वास  कर  लिया  l  बन्दर  बहुत  चालाक  था  , उसने  रोटी  को  इस  तरीके  से   आधा  किया  कि  तराजू  का  एक  पलड़ा  भार  से  नीचे  था   l  उसे  बराबर  करने  के  लिए  उसने  उसमें  से  थोड़ी  रोटी  तोड़कर   स्वयं  ही   अपने  मुँह  में  रख  ली  l  अब  तराजू  का  दूसरा  पलड़ा   भार    से   नीचे  हो  गया  ,  बन्दर  ने  उसमें  से  भी  थोड़ी  रोटी  तोड़कर  खा  ली  l  दोनों  बिल्लियाँ  बन्दर  का  मुँह  देख  रहीं  थी  कि  आखिर  किस  विधि  से  यह  रोटी  को  आधा -आधा  कर  रहा  है  l  दोनों  बिल्लियाँ  उसका  मुँह  ही  देखती  रह  गईं  और  बन्दर  पूरी  रोटी  चट  कर  पेड़  पर  चढ़  गया   और  खी -खी  कर  बिल्लियों  को  चिढ़ाने  लगा  l   तभी  एक  लोमड़ी  आ  गई  उसने  कहा ---- दो  की  लड़ाई  में  तीसरे  का  फायदा  होता  है   l  अपने  झगड़े  आपस  में  ही  निपटाओ  ,   किसी    अन्य  का  दखल  होगा  तो  ऐसा  ही  होगा  l