पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " पाप पहले तो आकर्षक लगता है l फिर आसान हो जाता है l इसके बाद आनंद का आभास देने लगता है तथा अनिवार्य प्रतीत होने लगता है l क्रमशः वह हठी और ढीठ बन जाता है l अंततः सर्वनाश कर के हटता है l " महाभारत में यही सत्य सामने आया l धृतराष्ट्र के अंधे मोह ने दुर्योधन को हठी बना दिया , बाल्यकाल से ही वह पांडवों के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगा l दुर्योधन पितामह भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य की भी कोई बात नहीं मानता था l मामा शकुनि का साथ मिल जाने से छल ' कपट और षड्यंत्र करना उसकी आदत बन गए l पांडवों को सताने में उसे आनंद आने लगा l हर अति का अंत होता है l दुर्योधन के ऐसे हठी स्वभाव के कारण ही कौरव वंश का सर्वनाश हो गया l