21 April 2025

WISDOM -----

 मनुष्य के  जीवन  में  सुख -दुःख  धूप -छाँव  की  तरह  आते -जाते  हैं  l  ईश्वर  ने  धरती  पर  अवतार  लेकर   अपनी  लीलाओं  के  माध्यम  से  मनुष्य  को  जीवन  जीना  सिखाया  l  भगवान  राम  के  राज्याभिषेक  की  तैयारी  थी  लेकिन  अगले  ही  पल  उन्हें  चौदह  वर्ष  का  वनवास  हो  गया  l  श्रीराम  के  चेहरे  पर  इससे  कोई  तनाव  नहीं , क्रोध  नहीं  , कोई  विवाद  नहीं  l  जो  भी  परिस्थिति  है  उसे  सहज  स्वीकार  किया  l  एक  बार  के  लिए  यह  मान  लें  कि  भगवान  श्रीराम  और  श्रीकृष्ण  स्वयं  भगवान  थे  ,  उनके  कष्ट  उनकी  लीला  का  हिस्सा  थे  लेकिन  जो  लोग   भगवान  श्रीकृष्ण  के  परिवार  के  थे  ,  उनके  जीवन  में  कितने  कष्ट  थे  l  जो  भगवान  श्रीकृष्ण  की  माता  थीं  -देवकी  उन्हें  कंस  के  अत्याचार  सहने  पड़े  ,  उनकी  सात  संतानों  को  कंस  ने  उनके  सामने  मार  डाला  l  पांडवों  को  भगवान  श्रीकृष्ण  का  प्रत्यक्ष  आश्रय  प्राप्त  था   लेकिन  फिर  भी  उनका  सारा  जीवन  कष्ट  में  बीता  l  कृष्ण  की  बहन  सुभद्रा  के  पुत्र  अभिमन्यु  को  महाभारत  के  युद्ध  में  सात  महारथियों  ने  मिलकर  छल  से  मार  डाला  l  सुभद्रा  कृष्ण  से  कहती  हैं  ---- तुम्हे  तो  लोग  भगवान  कहते  हैं  फिर  भी  तुम  मेरे  पुत्र  को  बचा  नहीं  पाए  l  भगवान  कहते  हैं  ---- मनुष्य  के  जीवन  में  जो  भी  सुख  या  दुःख  है  उसके  पीछे   उसके  जन्म -जन्मान्तरों  के  कर्म  की  कहानी  है  l  कर्मफल  से  कोई  भी  नहीं  बचा  है  l  महारानी  कुंती  भगवान  श्रीकृष्ण  की  बुआ  थीं  ,  उनका  सारा  जीवन  कष्टों  में  बीता  l  जब  महाभारत  का  युद्ध  समाप्त  हुआ    और  श्रीकृष्ण  द्वारका  लौटने  लगे   तो  कुंती  ने  उनसे  प्रार्थना  की  ---- " हे  प्रभु  !  आप  आशीर्वाद  दें  कि हम  पर  विपत्तियाँ  सदैव  आती  रहें  l "  श्रीकृष्ण  ने  पूछा  --- " आप  लोगों  ने  जीवन  भर  विपत्तियों  का  सामना  किया  है  ,  फिर  ऐसी  विलक्षण  मांग  क्यों  ?  ' कुंती  बोलीं  ---" भगवान  !  विपत्तियाँ  आएँगी  तो   उनसे  रक्षा  के  लिए   आप  भी  आयेंगे  l  जिस  भी  कारण  से  आपका  दर्शन  हो  ,  हमारे  लिए  तो  सोभाग्यशाली  ही  होगा  l "  विपत्तियाँ  हर  एक  के  जीवन  में  आती  हैं  ,  पर  जिनकी  भगवान  पर  अटल  श्रद्धा  होती  है  ,  वे  इन  क्षणों  को  जीवन  का  सौभाग्य  मानकर  स्वीकार  करते  हैं  l   आचार्य श्री  कहते  हैं  ---"  जीवन  के  प्रत्येक  पल एवं  प्रत्येक  घटनाक्रम   सकारात्मक   एवं  सार्थक   उपयोग  करो  l  जीवन  की  हर  चोट ,  हर  पीड़ा  हमें   गढ़ती  है  , संवारती  है  l