आज संसार में जितनी भी आपदाएं -विपदाएं हैं , उनके मूल में कारण ' आर्थिक ' है l धन जीवन के लिए बहुत जरुरी है लेकिन धन को ही सब कुछ मान लेने के कारण आज मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र व्यापार बन गया है और व्यापारी केवल अपना लाभ देखता है l जो जितना अमीर है , उसका लालच उतना ही बड़ा है l गरीब तो सूखी रोटी खाकर चैन से सोता है लेकिन अमीर और अमीर ----और अमीर ---- बनने के लिए कोई कोर -कसर बाकी नहीं रखते l उनकी इस अंधी दौड़ के कारण ही सम्पूर्ण मानव जाति पर खतरा है l धन की अति लालसा ने ईमानदारी के गुण को ही समाप्त कर दिया है l मनुष्य न घर में सुरक्षित है , न बाहर l ईश्वर कभी किसी का बुरा नहीं चाहते l मानव जीवन पर आज जो भी विपत्तियाँ हैं , वे सब मानव निर्मित है l रावण , कंस , भस्मासुर , हिरण्यकश्यप के पास धन -संपदा , सुख -वैभव की कोई कमी नहीं थी लेकिन इनकी गन्दी मानसिकता के कारण प्रजा परेशान थी l ये असुर भी स्वयं को भगवान समझते थे लेकिन मृत्यु भेदभाव नहीं करती l l