6 March 2025

WISDOM ------

 लघु -कथा ---  एक  ही  रात  में  इतने  सारे  रुपयों  की  थैली  देखकर   माँ  ने  कड़ककर  बेटे  से  पूछा ---- " यह  धन   तू    कहाँ  से  लाया  ?  "   बेटे  ने  कहा --- " सेंध  काटकर  ! माँ  तू  ही  तो  कहती  थी  कि  मनुष्य  को  सदैव  परिश्रम  की  कमाई  ही  खानी  चाहिए  l माँ  , महाजन  की  सेंध  काटने  में  मुझे  कितना  परिश्रम  करना  पड़ा  ,  तू  इस  बात  को  समझ  भी  नहीं  सकती  l "  चपत  लगाते  हुए  माँ  ने  कहा --- " मूर्ख  !  मैंने  इतना  ही  नहीं  कहा  कि  मनुष्य  को  परिश्रम  का  खाना  चाहिए   वरन  यह  भी  कहा  था  कि   वह  ईमानदारी  से  कमाया  हुआ  भी  हो  l  उठा  यह  धन  ,  जिसका  है  उसे  लौटकर  आ  और  अपने  गाढ़े  पसीने  की  कमाई  का  भरोसा  कर  l "  माता  की  इस  शिक्षा  को  शिरोधार्य  करने  वाला  चोर  युवक   अंततः  महा  संत  श्रमनक  के  नाम  से  विख्यात  हुआ  l   न्यायपूर्ण  जीविकोपार्जन  का  अर्थ  है  परिश्रम  और  ईमानदारी  से  कमाया  गया  धन  l