Omkar....
23 December 2012
जब मनुष्य के अन्तः करण का सौन्दर्य खुलता है ,तो बाहरी सौन्दर्य की कमी का कोई महत्व नहीं रह जाता ।हीरा और कुछ नहीं ,कोयले का ही परिष्कृत स्वरूप है ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment