जीवन की समस्याओं को सुलझाने और वांछित उपलब्धियों से जीवन को विभूषित करने के लिये अपने व्यक्तित्व को स्वच्छ .सुथरा बनाने की कला का नाम जीवन जीने की कला है ।मन;स्थिति ही परिस्थितियों की निर्मात्री है ।यदि मनुष्य चाहे तो हजार प्रतिकूलताओं से जूझकर स्वयं के माध्यम से अपने लिये वैसा ही वातावरण बना सकता है जैसा वह चाहता है ।इमर्सन ने कहा था कि "मुझे नरक में भी भेज दिया जाय तो मैं अपने लिये वहां भी स्वर्ग बना लूँगा "
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