दो पेड़ पास -पास उगे ।एक सूख गया ,तो मालिक ने उस ठूँठ को भी काट डाला ।कटते हुए उसने पड़ोसी पेड़ से शिकायत की ।जिन्हें मैं जीवन भर सुविधा पहुंचाता रहा ,उन्हें मेरा अस्तित्व बना रहना भी सहन न हुआ ।कितने स्वार्थी हैं लोग ।हरे पेड़ ने समझाते हुए कहा ,"दोस्त !चिंतन बदलो और इस तरह सोचो कि अस्तित्व मिटते -मिटते भी मैं लोगों को सूखी लकड़ी दे सकने का सौभाग्य अर्जित कर सका ।
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