एक व्यक्ति बड़ा परेशान था ।उसे बीस लाख का घाटा हुआ तो दिल धड़कने लगा हार्ट अटैक की आशंका सताने लगी।पत्नी एक साधु के पास ले गई ।उसने साधु से कहा -"महाराज इन्हें दस लाख का फायदा हुआ है और ये व्यर्थ में परेशान हो रहे हैं \साधु बोले ,"समझ में नहीं आता कि लाभ हुआ है या नुकसान ,ये परेशान क्यों हैं ?"पत्नी बोली -"महाराज !वास्तव में इन्हें तीस लाख का लाभ इस सौदे में होना था ,पर मिले मात्र दस लाख ।बीस लाख जो नहीं मिले ,उसी पर दुखी होकर ऐसी स्थिति में आ गए हैं \साधु ने उसे समझाते हुए कहा ,"जो कुछ भी तेरे पास है ,उसके लिए तू खुश होना सीख ,प्रसन्न होने की कला जीवन में उतार ।ज्ञान चक्षुओं के अभाव में हम परमात्मा की अपार देन को देख और समझ नहीं पाते ,सदा यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ नहीं है ।जो हमें मिला है उसका मूल्य समझे तो मालुम होगा कि वह अदभुत है \
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