23 March 2013

व्यक्ति धर्म -उपदेशक हो अथवा विद्वान मनीषी ,वह अपने आप को कितना तपा सका ,इस पर उसकी आन्तरिक वरिष्ठता निर्भर है | संत राबिया जंगल में तप कर रहीं थीं | पशु -पक्षी उनके इर्द -गिर्द बैठे हंस खेल रहे थे | हसन उधर से निकले ,उन्हें भी पहुंचा हुआ संत माना जाता था | हसन जैसे ही राबिया के नजदीक पहुंचे ,सारे पशु -पक्षी उन्हें देखते ही भाग खड़े हुए | उन्हें अचम्भा हुआ ,उन्होंने राबिया से पूछा -जानवर परिन्दे तुम्हारे इतने नजदीक रहते हैं और मुझे देखकर भागते हैं ,इसका क्या कारण है ?राबिया ने पूछा -आप खाते क्या हैं ?हसन ने कहा -अधिकांशत:गोश्त ही खाने को मिलता है | राबिया हंस पड़ी | लोग आप को जो भी समझें उनकी मर्जी | पर आपका दिल कैसा है ,उसे यह नासमझ जानवर अच्छी तरह जानते हैं |

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